आस्था और विश्वास का प्रतीक उत्तरकाशी का विश्वनाथ मंदिर

आस्था और विश्वास का प्रतीक उत्तरकाशी का विश्वनाथ मंदिर
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महाशिवरात्रि पर विशेष

डॉ धनेंद्र कुमार पंवार।

गढ़वाल हिमालय में स्थित उत्तरकाशी जनपद के मुख्यालय एवं भागीरथी नदी के किनारे स्थित विश्वनाथ मंदिर उत्तराखंड का एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर है। उत्तराखंड को देवभूमि का गौरव दिलाने में यहां के पौराणिक एवं प्राचीन मंदिरों का विशेष योगदान है।

देवभूमि उत्तराखंड के कण-कण में शंकर हैं। तमाम धर्मग्रंथों में इसका विस्तार से वर्णन मिलता है। केदारखंड के इस क्षेत्र के तीर्थों का विस्तार पूर्वक वर्णन मिलता है। मध्यकाल से ही यह क्षेत्र भारतीय संस्कृति में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। विश्वनाथ मंदिर की पौराणिकता एवं वर्तमान समय में जन मानस का विश्वास एवं आस्था विश्वनाथ पर है।

सौम्य नगरी उत्तरकाशी के मध्य में विश्वनाथ मंदिर पाषाण वेदी पर 40 ×20 फिट आयताकार स्वरूप में 30 फुट ऊंचा है। मंदिर के गर्भ ग्रह में 56 सेंमी ऊंचा शिवलिंग है।बाहरी कमरे में प्रवेश करने पर शिव वाहन नंदी की पाषाण प्रतिमा 53× 32 सेंमी की शिला पर स्थापित है।

मंदिर का जीर्णोद्धार अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी में टिहरी नरेश सुदर्शन शाह के द्वारा कराया गया था। यह मंदिर पगोड़ा शैली का है और मंदिर बहुत ही भव्य एवं प्राचीन पत्थरों से निर्मित है। मंदिर निर्माण एवं वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर पगोड़ा शैली सर्वोत्तम उदाहरण का मंदिर है।

विश्वनाथ मंदिर के सामने आंगन में स्थापित शक्ति स्तम्भ पुरातात्विक किर्ति है । त्रिशूल / शक्ति यहां का सर्वाधिक गरिमामय आकर्षण है । पौराणिक कथाओं के अनुसार इस शक्ति को देवताओं ने राक्षसों के ऊपर फेंका था तभी से यह शक्ति यहां पर खड़ी है । इसकी ऊंचाई 26 फुट है। यह नीचे पीतल और ऊपर से लोहे का है। यह शक्ति स्तंभ शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

उत्तरकाशी को भगवान शंकर की नगरी कहा जाता है तथा यहां के लिए कहावत है कि उत्तरकाशी में जितने कंकर हैं उतने ही शंकर हैं। पहले के लोग उत्तरकाशी को बाडा़हाट के नाम से भी पुकारते थे तथा राहुल सांस्कृतयायन ने भी इस क्षेत्र को बाडा़हाट नाम से उल्लेख किया है।

गंगोत्री धाम में जाने वाले श्रद्धालु एक बार विश्वनाथ मंदिर के दर्शन अवश्य ही करते हैं । यह मंदिर एक आस्था का केंद्र है और बाबा भोलेनाथ की नगरी का महत्व बात से भी लगाया जाता है कि प्रत्येक सोमवार को श्रद्धालु यहां पर जल चढ़ाते हैं। लोगों का बाबा विश्वनाथ के प्रति अटूट श्रद्धा एवं विश्वास है।

लेखक गवर्नमेंट कॉलेज में प्राध्यापक हैं।

 

Tirth Chetna

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