उत्तराखंड विधानसभा चुनावः न दिखी रोजगार की चिंता और न महंगाई का टेंशन
ऋषिकेश। उत्तराखंड ने टेंशन फ्री स्टेट बनने की ओर कदम बढ़ा दिया है। विधानसभा चुनाव के नतीजे तो कम से कम ऐसा ही कुछ महसूस करा रहे हैं। परिणाम से स्पष्ट है कि राज्य में न तो रोजगार की चिंता है और न महंगाई का कोई टेंशन।
2017 के बाद उत्तराखंड में भाजपा सरकार लोगों के निशाने पर रही। रोजगार, महंगाई, भ्रष्टाचार समेत तमाम मुददों पर लोग राज्य सरकार को कोसते रहे। भाजपा के कई विधायकों को लेकर लोगों में खासी नाराजगी थी।
कुछ विधायकों की अलोकप्रियता हद स्तर पर पहुंच गई थी। आम लोग ही नहीं भाजपा कार्यकर्ता भी ऐसे कहते हुए सुने जाते थे। सरकार के कई निर्णयों के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे। इस दौरान भाजपा के अलग रूप भी देखने को भी मिला।
2021 आते-आते बेरोजगार सरकार के खिलाफ सड़कों पर दिखे। सरकार पर तमाम आरोप लगे। कर्मचारियों ने तमाम मुददों को लेकर सरकार का तकाजा किया और नाराजगी भी व्यक्त किया।
पुरानी पेंशन बहाली का मामला छाया रहा। सरकार ने इस पर कोई वादा नहीं किया। माना जा रहा था कि ये मुददा चुनाव में असर दिखाएगा। मगर, ऐसा दूर-दूर तक नहीं दिखा। कांग्रेस, यूकेडी, आम आदमी पार्टी हर वर्ग के साथ खड़ी रही।
देवस्थानम एक्ट को निरस्त कराने में कांग्रेस ने खास भूमिका निभाई और उपेक्षित महसूस कर रहे एक वर्ग को सहारा दिया। मगर, चारधाम से संबंधित अधिकांश सीटों पर भाजपा ही जीती। कुल मिलाकर जनता के जिन मुददों पर विपक्ष लोगों के साथ रहा चुनाव में इसका लाभ विपक्ष को दूर-दूर तक नहीं मिला। राजनीति के जानकार भी लोगों के इस रवैए से हैरान परेशान हैं।
दरअसल, उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव में न तो बेरोजगार की चिंता दिखी और न महंगाई का कोई टेंशन। जिन विधायकों को लोग उनके गैरजिम्मेदार रवैए के लिए कोसते थे उन्हें ही लोगों ने जीता दिया। कहा जा सकता है कि विधायकों से नाराज लोगों ने कमल पर खूब प्यार लूटाया।