श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय को शिक्षक कुलपति की दरकार
देहरादून। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए शिक्षक कुलपति की दरकार है। विश्वविद्यालय की 12 साल की दशा-दिशा इस ओर इशारा भी कर रही है।
शिक्षक कुलपति से मतलब है ऐसे शिक्षाविद (प्रोफेसर) जो विश्वविद्यालय और कॉलेजों में पढ़ा रहे हों। जो विभिन्न जिम्मेदारियों के साथ छात्र/छात्राओं के मुददों को फेस करते हों। मुददों को अच्छे से एड्रेस करने का माददा रखते हों। प्राध्यापकों की समस्याओं को समझते हों। विश्वविद्यालय/कॉलेजों की व्यवस्थाओं को समझते हों और प्राथमिकताओं की समझ भी रखते हों।
साथ ही विश्वविद्यालय की समस्या को शासन के सम्मुख रखने में उनका बौद्धिक अहम आड़े न आता हो। उत्तराखंड क्षेत्र में तमाम विश्वविद्यालयों का इतिहास देखें तो इन्हें संवारने में शिक्षक कुलपतियों का अहम रोल रहा है। जब-जब विश्वविद्यालय को शैक्षणिक संस्थानों से इत्तर संस्थानों में कार्यरत और व्यक्तिगत ख्याति वाले कुलपति मिले विश्वविद्यालयों के अनुभव ठीक नहीं रहे।
ऐसे कुलपतियों ने समय गुजारने के अलावा कुछ नहीं किया। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय को अब जल्द नया कुलपति मिलेगा। इसके लिए शासन ने आवेदन आमंत्रित कर दिए हैं। अभी तक विश्वविद्यालय को विशुद्ध रूप से शिक्षक वीसी नहीं मिला।
निसंदेह शासन ने बेस्ट को ही वीसी बनाया होगा। बेस्ट कुलपतियों ने 12 साल में विश्वविद्यालय में क्या बेहतर किया इसकी समीक्षा की जिम्मेदारी शासन की है। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय ने 12 सालों में एक भी प्राध्यापक की नियुक्ति नहीं की। ये बड़ा सवाल है। ऐसे में विश्वविद्यालय कैसे चल रहा होगा और क्या उपलब्धियां हासिल की होंगी समझा जा सकता है।
कुल मिलाकर कहीं न कहीं 12 सालों में श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में विशुद्ध शिक्षक कुलपति की कमी खली। विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए जरूरी है कि शिक्षक वीसी मिले। प्रतिनियुक्ति के नाम पर पढ़ाना छोड़ने वाले शिक्षाविद तो विश्वविद्यालय के लिए और खतरनाक साबित होंगे।