नेतृत्व को निहार रही…….

नेतृत्व को निहार रही…….
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बृजमोहन गौड।

जंगल, माटी, पानी और जवानी
स्वार्थ और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी
नैतिकता को ताक में रखकर
कुंडली मार दी हाकिमों ने।

बेरोजगारों की फौज खड़ी
प्रतिभा कहीं खो गयी
हर महकमा , संवैधानिक संस्था
स्वार्थ और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी।

सफेदपोश , भाई भतीजावाद ने
चाट लिया उत्तराखंड को
साम दाम से अपनों अपनों को
फिट करने की होड़ लगी।

कहीं प्रश्नचिन्ह चयन प्रक्रिया पर
कहीं विशेषाधिकार का प्रश्न बना
कहीं सपोले कुंडली मारे
डंस रहे हैं उत्तराखण्ड को।

ऋषियों, मुनियों , देवों की
देवभूमि आज कराह रही
पावन आत्मा बिलख रही
आज मेरे उत्तराखंड की।

मूल भावना उत्तराखंड की
नेतृत्व की ओर निहार रही
सफेद पोश का मोह त्याग कर
शायद ! कठोर निर्णय लेगा
आदर्श उदाहरण प्रस्तुत कर
अपने आप को
सत्यवादी हरिशचंद की
पंक्ति में खड़ा करेगा । ———-?

कवि सेवानिवृत्त शिक्षाधिकारी हैं।

Tirth Chetna

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