सिंगटाली मोटर पुलः लोगों के हिस्से आए सिर्फ टपकरा
ऋषिकेश। चुनाव आचार संहिता के लगने से पहले प्रचंड बहुमत की सरकार ने क्या-क्या काम नहीं किए। बस प्रस्तावित सिंगटाली मोटर पुल का शिलान्यास नहीं किया। इसको लेकर क्षेत्र के लोगों में नाराजगी है।
क्रीब 15 साल पूर्व गंगा पर सिंगटाली में मोटर पुल प्रस्तावित है। 2012 और 2017 के चुनावों में जनप्रतिनिधियों ने इस पुल को लेकर खूब दावे किए। फाइलें खूब चली। दावे भी खूब हुए। 2018 के बाद स्थानीय लोगों ने इसके लिए जोर लगाया तो लगा कि बस अब पुल बनने ही वाला है। मगर, पुल पर धरातलीय काम अभी तक शुरू नहीं हो सका।
दरअसल, सिंगटाली मोटर पुल एकल दल की फिरका राजनीति में फंस गया। जिम्मेदार अधिकारियों ने इसे भांप लिया और चेहरे बदलने के साथ मोटर पुल को लेकर टोन भी बदलते रहे। किसी नेता को ये नागवार गुजरा कि स्थानीय लोग सीधे दिल्ली तक कैसे पहुंच गए। तो किसी को जीओ पर आपत्ति थी। किसी का प्यार-दुलार किसी के धंधे को लेकर था तो किसी के पास बिना किए धरे नाम न होने की चिंता।
राज्य बनने के बाद हर चुनाव में पुष्प सिहांसन लगाने वाले क्षेत्र के लोग समझ तो सब कुछ रहे थे। मगर, उम्मीद थी कि पुल पर काम न सही इस बार शिलान्यास तो करा ही लेंगे। मगर, शिलान्यास भी नहीं हो कसा। कहा जा सकता है कि लोगों के हिस्से सिर्फ टपकारे ही आए।
ढांगू विकास समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी निराश होकर कहते हैं कि मोटर पुल ही तो मांग रहे थे। नेता आश्वासन देते रहे और अधिकारी तकनीकी भाषा समझाते रहे।