आस्था एवं विश्वास का प्रतीक सिद्ध बली बाबा का मंदिर
हनुमान जयंती पर विशेष
डॉ० धनेंद्र कुमार पंवार
उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल हिमालय में पौड़ी जनपद के कोटद्वार नगर में स्थित खोह नदी के बाएं तट पर स्थित सिद्ध बली सिद्ध बाबा का मंदिर उत्तराखंड का एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर है।
उत्तराखंड को देवभूमि का गौरव दिलाने में यहां के पौराणिक मंदिरों का अपना विशेष योगदान है, इन्हीं पौराणिक मंदिरों में एक सिद्धबली मंदिर है जो कि वर्तमान समय में जन मानस का विश्वास एवं आस्था केंद्र है। लोगों का सिद्धबली बाबा के प्रति अटूट विश्वास एवं श्रद्धा है । इस मंदिर की जो प्रमुख विशेषता है वह यह है कि यह स्थल बहुत ही सुंदर एवं मनोहारी प्राकृतिक सुषमा- मंडित पावन अनुपम भूमि है , वहीं यह स्थान सर्व धर्म समभाव का जीता जागता उदाहरण भी है।
हिंदू, मुस्लिम, सिख,ईसाई सभी धर्म और संप्रदायों के लोग हजारों की संख्या में मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं तथा सिद्ध बाबा का यह मंदिर सभी ही धर्मों को एक सूत्र में बांधकर सभी धर्मों के प्रति आस्था और सम्मान का संदेश देता आ रहा है। सिद्धबली बाबा के दर्शन के लिए न केवल कोटद्वार भाबर की जनता ही नहीं बल्कि दूर-दराज के सभी दर्शनार्थी मंदिर पहुंचते हैं तथा अपनी मन्नत बाबा के सामने रखते हैं और बाबा उनकी मनौती को पूर्ण करते हैं।
शिव के अवतार माने जाने वाले गुरु गोरखनाथ को इस स्थान पर सिद्धि प्राप्त हुई थी। मंदिर के गर्भ गृह में हनुमान जी की भव्य एवं सुंदर मूर्ति के साथ ही गुरु गोरखनाथ एवं हनुमान जी की पिंडिया भी स्थित है। यह पिंडिया यहां पर आदिकाल से ही विराजमान थी। बाद में 80 के दशक में मंदिर का भव्य निर्माण किया गया और तत्कालीन पुजारी के द्वारा मंदिर के गर्भ गृह में बजरंगबली हनुमान की मूर्ति की स्थापना की गई है।
यह मंदिर सिद्ध बाबा के मंदिर के स्थान पर सिद्धबली मंदिर के रूप में जाना जाने लगा है। यह पहला मंदिर है जहां पर गुरु गोरखनाथ एवं हनुमान जी एक साथ एक ही मंदिर में है। सिद्धबली बाबा के मंदिर का उल्लेख हमें स्कंद पुराण में भी मिलता है। मान्यता है कि इसी रास्ते से हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने गए थे। वर्तमान समय में सिद्धबली बाबा के निकट शिव मंदिर, शनि देव का मंदिर नव दुर्गा मंदिर, एवं गंगा जी का मंदिर भी स्थित है। यहां पर हर रोज भंडारे का आयोजन किया जाता है तथा भंडारा करने वाले श्रद्धालुओं को भंडारे से पूर्व भंडारे के लिए बुकिंग करनी पड़ती है खासकर मंगलवार एवं शनिवार के दिन यहां पर भंडारा करने के लिए तीन-चार साल पूर्व ही बुकिंग करनी पड़ती है।
सिद्धबली बाबा के मंदिर में भक्त जन गुड़ की भेली, बतासे, नारियल ,बूंदी , लड्डू एवं बेसन के लड्डू प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं, परंतु गुड़ की भेली चढ़ाने का यहां पर विशेष महत्व है ।कोई भी मांगलिक कार्य हो तो यहां के स्थानीय लोग सबसे पहले सिद्धबली बाबा को निमंत्रण देते हैं यह पावन सिद्ध स्थान आस्था का केंद्र है जहां पर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है वर्तमान समय में सिद्धबली बाबा मंदिर के महंत श्री दिलीप रावत जी हैं । श्रद्धालुओं का मानना है कि जो भी भक्त सच्ची भावना से बाबा के मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं तो उनकी मनौती को सिद्ध बाबा अवश्य ही पूर्ण करते हैं ।
लेखक गर्वमेंट कॉलेज में इतिहास के प्राध्यापक हैं।