स्कूलों के निरीक्षण के लिए शैक्षणिक संवर्ग की निरीक्षा शाखा की जरूरत
प्रशासनिक संवर्ग के अधिकारियों के निरीक्षण पर उठ रहे सवाल
तीर्थ चेतना न्यूज
पौड़ी। सरकारी स्कूलों के निरीक्षण के लिए शैक्षणिक संवर्ग की निरीक्षा शाखा की जरूरत है। वजह प्रशासनिक संवर्ग के अधिकारियों के स्तर से होने वाले स्कूलों के निरीक्षण में तमाम सवाल खड़े होने लगे हैं। निरीक्षण में मीडिया ट्रायल अधिक हो रहा है।
पौड़ी जिले के थलीसैंण ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बग्वाड़ी के मामले का जिक्र बाद में करेंगे। पहले स्कूलों के औचक निरीक्षण के दो मामलों को बताते हैं। एक खंड शिक्षाधिकारी कार से स्कूल में तैनात शिक्षक से एक मिनट पहले पहुंचा और शिक्षक को अनुपस्थित दिखा दिया। शिक्षक को जवाब देना पड़ा।
एक डिप्टी ईओ के कार्यालय का एसडीएम ने औचक निरीक्षण किया। साढ़े 10 बजे तक डिप्टी साहब ऑफिस नहीं पहुंचे थे। सूचना मिली तो डिप्टी ईओ ने स्वयं को स्कूलों के निरीक्षण में गया हुआ बता दिया। बीईओ और डिप्टी ईओ पद शिक्षा विभाग में प्रशासनिक संवर्ग में आते हैं।
ऐसा ही एक मामला चमोली जिले के कर्णप्रयाग में भी हो चुका है। अब पौड़ी जिले के थलीसैंण ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बग्वाड़ी पर आते हैं। शिक्षिका शीतल रावत विभागीय कार्य से ब्लॉक मुख्यालय गई थी और सस्पेंड हो गई।
दरअसल, स्कूली शिक्षा शैक्षणिक और प्रशासनिक संवर्ग के बीच पीस रही है। स्कूलों के बेहतर संचालन के लिए शिक्षक/ हेडमास्टर/ प्रिंसिपल की जरूरत है। जिन प्राइवेट स्कूलों का सरकार जिक्र करती है वहां न तो कोई डिप्टी ईओ होता है और न ही बीईओ, डीईओ, सीईओ और तमाम अन्य पदधारी।
बहरहाल, स्कूलों की मॉनिटरिंग के लिए दफ्तरों के अभ्यस्त अधिकारी यानि प्रशासनिक संवर्ग को परेशान करने के बजाए शैक्षणिक संवर्ग में ही निरीक्षा शाखा की दरकार है। प्रशासनिक संवर्ग के अधिकारियों के औचक निरीक्षण स्कूलों की बेहतरी का माध्यम के बजाए मीडिया की सूर्खियां के लिए अधिक हो गया है।
वैसे भी राज्य में शैक्षणिक संवर्ग बहुत बढ़ा है। स्कूलों के शिक्षक, प्रिंसिपल से लेकर डायट और एससीईआरटी में अनुभवी शैक्षणिक अधिकारी हैं। स्कूलों का अच्छे से निरीक्षण भी करेंगे। शिक्षकों को प्रेरित भी करेंगे और जरूरत पड़ेगी तो ब्लैक बोर्ड पर चॉक भी चलाएंगे।