तीर्थनगरी ऋषिकेश में अपनों के बढ़ते कद से असहज हो रहे बड़े पद वाले नेता

ऋषिकेश। तीर्थनगरी ऋषिकेश में अब भाजपा में कुछ-कुछ कांग्रेसी गुण दिखने लगे हैं। पार्टी के बड़े पदों पर आसीन लोगों को अपने से छोटे पद पर आसीन नेताओं का बढ़ता कद हजम नहीं हो रहा है। परिणाम नेता अपना राजनीतिक हाजमा बढ़ाने के लिए खूरपेंच शुरू करने लगे हैं।
ऋषिकेश की राजनीति में चारों ओर भाजपा है। जाहिर है अब राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा भी भाजपा के भीतर ही होगी। ऐसा कभी कांग्रेस में होता था और अब दूसरे रूप में दिखता है। बहरहाल, भाजपा के भीतर चल रही प्रतिस्पर्द्धा अब प्रतिद्वंद्विता के रूप में दिखने लगी है।
दरअसल, अपनों के बढ़ते कद से कुछ बड़े नेता बड़ा पद मिलने के बाद स्वयं को असहज महसूस कर रहे हैं। अपनी इस असहजता को फील गुड में तब्दील करने के लिए धरातलीय काम करने के बजाए नेता पार्टी में ऐसे नेताओं की इंट्री की एडवोकेसी कर रहे हैं जिनको लेकर कभी पार्टी को खास परहेज रहा है।
कभी एकला चलो के अभ्यस्त एक नेता के लिए इन दिनों विभिन्न स्तरों पर एडवोकेसी हो रही है। हालांकि ऐसे प्रयासों को देख संघ के कान भी खड़े हो गए हैं। ऐसे नेताओं का तकाजा भी शुरू हो गया है। उपर तक भी बात पहुंच गई है।
इस प्रकार के हो रहे प्रयासों को आम लोग भी खूब समझ रहे हैं। पब्लिक डोमेन में इसको लेकर बहुत सी बातें होने लगी हैं। दरअसल, इसको लेकर बड़े नेताओं के द्वारा जो तर्क दिए जा रहे हैं वो पब्लिक डोमेन में बैक फायर करने लगे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसे भी क्या जरूरत है।