आखिर शिक्षक क्यों फॉर गो करते हैं प्रमोशन

देहरादून। स्कूली शिक्षा के शिक्षक आखिर प्रमोशन को फॉर गो क्यों करते हैं? विभागीय अधिकारी तो काफी हद तक वजह जानते है। मगर, शासन जानना नहीं चाहता और यहीं से प्रमोशन फॉर गो की पटकथा शुरू होती है।
इन दिनों सरकार चिंतित है कि आखिर शिक्षक प्रमोशन को फॉर गो क्यों कर रहे हैं। दरअसल, शिक्षकों के जिस कैडर में प्रमोशन फॉर गो करने के सबसे अधिक मामले हैं उन्हें प्रमोशन मिलता नहीं है। उन पर प्रमोशन थोपा जाता है। थोपे गए प्रमोशन को ही शिक्षक फॉर गो करते हैं।
वास्तविक और समय से प्रमोशन को शिक्षक बहुत कम फॉर गो करते हैं। एलटी से प्रवक्ता पद को भी विभाग ने प्रमोशन बताना शुरू कर दिया। जबकि ये विषयगत लाभ भर है। फॉर गो के सबसे अधिक मामले इसी कैडर में हैं। ये एक तरह से थोपा गया प्रमोशन है।
माध्यमिक स्कूलों में जिन शिक्षकों को सेवा के पहले 10 साल में प्रमोशन/विषयगत लाभ मिला अधिकांश ने खुशी-खुशी लिया। जिन शिक्षकों को 20-25 साल में न तो विषयगत लाभ मिला और न प्रमोशन मिला वो सेवा के अंतिम दिनों में तो फॉर गो ही करेंगे। ऐसे में ये कोई बड़ा मुददा नहीं है। मुददा ये है कि आखिर जब पद भी रिक्त होते हैं तो क्यों शिक्षकों को समय से प्रमोशन नहीं मिलता।
विभागीय अधिकारी समस्या की वजह को जानते हैं। विभाग की पेचदगियों को कोई छेड़ना नहीं चाहता। शासन के पास पेचदगियों को दूर करने का समय नहीं है। जिम्मेदार लोग सुनना भी नहीं चाहते। सब कुछ सीबीएसई की तर्ज पर करने की रटट ने स्थिति को और खराब कर दिया है। सबसे बड़ी बात ये है कि शिक्षा विभाग का खर्चा दूर से ही चमकने लगता है।