मास्टर प्लान तीर्थ पुरोहितों के लिए श्री बदरीनाथ धाम से बेदखली का वारंट तो नहीं
ली जा रही भूमि और भवन के बदले बदरीनाथ में ही मिले भूमि-भवन
तीर्थ चेतना न्यूज
श्री बदरीनाथ। श्री बदरीनाथ धाम का मास्टर प्लान कहीं धाम से तीर्थ पुरोहित/हक हकूकधारियों की बेदखली का वारंट साबित न हो। लोगों की इस आशंका की वजह ये है कि ली जा रही भूमि और भवन के बदले मुआवजे की बात हो रही है न कि श्री बदरीनाथ में ही भूमि और भवन मुहैया कराने की।
पिछले साल यात्रा के दौरान तीर्थ पुरोहित/हक हकूकधारी देवस्थानम एक्ट से आशंकित रहे। सरकार ने इसे निरस्त किया तो अब श्री बदरीनाथ धाम का मास्टम प्लान आशंकित और आतंकित कर रहा है। दरअसल, शासन धाम को भव्य और दिव्य बनाने के नाम इन दिनों मास्टर प्लान को धरातल पर उतार रहा है।
इसकी राह में आ रही जमीन और मकान को लिया जा रहा है। इसके बदले में प्रभावितों को मुआवजा दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कुछ लोगों का मुआवजा फाइनल हो चुका है। इसके साथ ही जेसीबी गरजने लगी है।
जेसीबी की गरजना भक्तों के जयकारों पर भारी पड़ रही है। सैकड़ों सालों से धाम में उत्साह का संचार करने वाले तीर्थ पुरोहित परेशान हैं। दरअसल, मास्टर प्लान की जद में आ रहे उनके भवन और भूमि का सरकार मुआवजा दे रही है। ये मुआवजा तीर्थ पुरोहितों को धाम से बेदखली का वारंट जैसा लग रहा है।
तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि आखिर मुआवजा लेकर जाएंगे कहां। सरकार श्री बदरीनाथ में ही भूमि के बदले भूमि और भवन के बदले भवन मुहैया नहीं करा रही है। यानि मुआवजा लेते ही धाम से संबंधित प्रभावित का मालिकान हक समाप्त हो जाएगा।
इस बात से तीर्थ पुरोहित परेशान हैं। उन्हें लगता है कि मास्टर प्लान उनकी धाम से बेदखली का वारंट है। कम्यूनिस्ट नेता डा. गिरधर पंडित का कहना है कि प्रभावितों को श्री बदरीनाथ में ही मालिकाना हक मिलना चाहिए। साथ ही सरकार द्वारा तय मुआवजे को भी बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रभावितों पर सरकार द्वारा अपने थोपने के प्रयास हुए तो कोर्ट की शरण ली जाएगी।