जांच में उलझ सकते हैं राज्य के कई बड़े नेता
ऋषिकेश। उत्तराखंड की बड़े राजनीतिक चेहरे जांच में उलझ सकते हैं या उलझाए जा सकते हैं। कई चेहरों को लेकर जितने मुंह उतनी बातें भी होने लगी है। विभागों में खुल रही फाइलें तो इस ओर इशारा कर ही रही हैं।
2017 में भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार के कई काम अब चर्चा में हैं। कामों की फाइल खुलने लगी हैं। जो भी अभी तक सामने आ रहा है उसमें ये स्पष्ट है कि बगैर राजनीतिक संरक्षण के ऐसे काम नहीं हो सकते है। इससे तय है कि कई बड़े राजनीतिक चेहरे जांच में उलझेंगे या उलझाए जाएंगे।
सूर्यधार झील प्रकरण पहले ही सामने आ चुका है। इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया गया था। इसमें कई अनियमितताओं की बात सामने आ रही है। इस पर आने वाले समय में और तथ्य भी सामने आ सकते हैं।
सहकारिता में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की नियुक्ति का मामला चर्चा में है। यहां बड़े अधिकारियों के स्तर से खूब खेल हुए है। इस मामले में राजनीतिक संरक्षण की बात भी सामने आ रही है। हालांकि अभी जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं।
वित्तीय मान्यता वाले स्कूलों में शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मियों की नियुक्ति चर्चा में है। कई बातें सामने आ रही हैं। पौड़ी जिले का मामला काफी चर्चा में रहा है। अब हरिद्वार जिले को लेकर चर्चा है। पिछली सरकार में वन विभाग समेत कई बोर्ड में हुए कार्यों को लेकर भी जांच की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि फाइल खुल चुकी हैं।
समाज कल्याण विभाग के कुछ मामले भी सामने आ सकते हैं। स्कॉलरशिप घोटाले में अभी तक कई लोगों पर शिकंजा कसना बाकी है। पाला बदलने वाले नेता खास तौर पर निशाने पर रहेंगे।