पुरानी पेंशन, रोजगार और महंगाई बनें बड़े मुददे
ऋषिकेश। 14 फरवरी को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए मुददों ने आकार लेना शुरू कर दिया है। शिक्षक/कर्मचारियों की पुरानी पेंशन, रोजगार और महंगाई बड़े मुददे बनने जा रहे हैं। इन मुददों की चर्चा घर-घर पर हो रही है और ये मतदाताओं की जुबान पर भी चढ़ चुके हैं।
उत्तराखंड में अभी तक हुए चार विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ही मुददे सेट करते रहे हैं। परिणाम दोनों दल एक बार सत्ता में और एक बार विपक्ष की भूमिका में होते हैं। मगर, इस बार मुददे जनता के स्तर से सेट हो रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के लिए मुददों ने आकार लेना शुरू कर दिया है। राजनीतिक दलों के तमाम प्रयासों के बावजूद ये मुददे लोगों की जुबान में चढ़ चुके हैं। सबसे मारक मुददा शिक्षक/कर्मचारियों का पुरानी पेंशन बहाली का है।
इसमें रोजगार और महंगाई तड़के का काम कर रहा है। उक्त मुददों पर लोग एक-एक राजनीतिक दल और नेताओं का मूल्यांकन कर रहे हैं। जनता के इस तरह के रिएक्शन से कई नेता परेशान हैं। कइयों का टोन भी बदलने लगा है।
पुरानी पेंशन, रोजगार आदि मुददों पर नेताओं द्वारा पूर्व में दिए गए बयान भी खूब याद किए जा रहे हैं। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घर-घर में सरकारी शिक्षक/कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली, रोजगार और महंगाई की चर्चा है।
कथित राष्ट्रीय मुददे और नारे भी इन मुददों को निष्प्रभावी नहीं कर पा रहे हैं। सोशल मीडिया में भी ये मुददे विभिन्न तरह से खूब चल रहे हैं। इसने राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इन मुददों से जनता का ध्यान भटकाने के हो रहे प्रयास भी सफल नहीं हो पा रहे हैं। चुनावी तारीखों के ऐलान से पहले हुए शिलान्यास/लोकार्पण की बातों को लेकर भी लोगों में खास उत्साह नहीं दिख रहा है।
कुल मिलाकर उत्तराखंड की राजनीति में पहली बार जनता अपने मुददों को लेकर रिएक्ट करती दिख रही है। यानि इस बार नारों के बजाए लोग मुददों पर वोट करेंगे और अपने लिए विधायक चुनेंगे।