इंद्रेश मैखुरी अच्छा है तो फिर दिक्कत कहां है
ऋषिकेश। इंद्रेश मैखुरी योग्य है। उसमें हर मुददे पर सच बोलने का साहस है। वो राज्य की हर स्तर पर एडवोकेसी करता है। उसे कई मौकों पर देखा भी है और परखा भी।
इतना सब कुछ होने के बावजूद दिक्कत कहां है। ये योग्य व्यक्तित्व विधानसभा क्यों नहीं पहुंच पाता। हम बात कर रहे हैं कर्णप्रयाग विधानसभा से भाकपा (माले) के प्रत्याशी इंद्रेश मैखुरी की। उनके बारे में अक्सर लोग कहते हैं कि वो योग्य हैं, मुददों की समझ रखते हैं वगैरह. वगैरह। फिर सवाल उठता है दिक्कत कहां आती है।
दरअसल, उत्तराखंड का जनमानस 21 सालों से संघर्षशील व्यक्तित्वों को निराश कर रहा है। राज्य की बेहतरी के लिए उनकी सोच और सामर्थ्य का लाभ नहीं उठा पा रहा है। हम दिल्ली में गढ़े गए नारों को आवाज दे रहे हैं और उसी के हिसाब से बह भी जा रहे हैं।
हम ऐसे नेतृत्व को आकार दे रहे हैं जो जनता से अधिक पार्टी का होता है। परिणाम पहाड़ी राज्य के सवाल हाशिए पर चले जाते हैं। यहां खुलकर बोलने वाली आवाज आकार ही नहीं ले पा रही है। इंद्रेश मैखुरी जैसा नेता भी इसी मन स्थिति का शिकार होता है।
हर बड़े मुददे पर लोग इंद्रेश मैखुरी को सड़कों पर देखते हैं। लोगों के दुख दर्द का साझा करते दिखते हैं। सरकार से भिड़ते हैं। सवालों पर रिएक्ट करते हैं। ऐसे व्यक्तित्व को तो एमएलए होना ही चाहिए।