स्वार्गिक गंगा को धरा धाम पर उतारने को भगीरथ ने गंगोत्री में किया था तप
डा. धनेंद्र कुमार पंवार।
भारतवर्ष के उत्तराखंड प्रदेश के जनपद उत्तरकाशी में गंगोत्री धाम स्थित है। गंगोत्री धाम उत्तराखंड के प्रमुख चार धामों में से एक प्रमुख धाम है। इस पावन स्थान पर महाराज भगीरथ ने अपने पितरों को तारने के लिए स्वार्गिक गंगा को धरा धाम पर उतारने के लिए तपस्या की थी। तथा उनकी इस तपस्या के फलस्वरूप इस धरा धाम पर अवतरित हुई अर्थात उतरी।
श्री गंगा जी के तेज वेग को भगवान श्री शंकर जी ने अपने जटाओं में धारण किया और अपनी जटा की एक लट खोलकर श्री गंगा जी की पावनधारा को पृथ्वी पर छोड़ दिया। गंगा जहां उतरी वह स्थान ही गंगोत्री कहलाया। अतः इस स्थान की प्रमुख दो विशेषताएं हैं।
महाराज भगीरथ की तपस्थली और श्री गंगा जी का अवतरण या उद्गम स्थल स्थान। गंगोत्री धाम में जो प्रमुख 5 मंदिर हैं उनमें श्री गंगा मंदिर, श्री गणेश मंदिर, श्री गौरी शंकर मंदिर, श्री हनुमान मंदिर एवं श्री भगीरथ शीला।
मुख्य श्री गंगा( गंगोत्री) मंदिर में श्री गंगा मां विराजमान है , जहां पर श्री जान्हवी जी , श्री यमुना जी, श्री भागीरथमहाराज, श्री सरस्वती जी, श्री अन्नपूर्णा जी,,श्री महालक्ष्मी जी ,श्री मां दुर्गा जी ,श्री गणेश जी, श्री हिमालय जी ,मैना जी आदि के विग्रह विराजमान है ,सबसे ऊपर मकर वाहिनी श्री गंगा जी की पाषाण प्रतिमा विद्यमान है।
परंपरागत के रीति-रिवाजों के साथ श्री गंगोत्री जी के कपाट वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया को खुलते हैं , अक्षय तृतीया वह तिथि होती है जो कि क्षय नहीं होती है इस दिन को शुभ दिन माना जाता है, इस दिन मैं किसी भी प्रकार का पंचांग देखने की जरूरत नहीं होती है ।
कोई भी शुभ कार्य इस दिन शुरू किया जा सकता है । अक्षय तृतीया के एक दिन पूर्व मां गंगा की डोली यात्रा मुखवा गांव से श्री गंगोत्री धाम के लिए प्रस्थान करती है ,रात्रि निवास भैरव घाटी मैं होता है ।
दुसरे दिन अर्थात अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री मैं शुभ मुहूर्त में समुचित पूजा कर्मकांड संपन्न होने के पश्चात मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। इसी दिन से गंगोत्री धाम की यात्रा आरंभ होती है । प्राचीन काल से ही मुख्य मंदिर के गर्भ गृह में अखंड ज्योति प्रज्वलित होती रहती है।
धार्मिक मान्यता है कि किसी भी तीर्थ यात्री को तीन रात्रि तक तीर्थ स्थल पर रहना चाहिए ,नही तो कम से कम एक दिन जरूर धाम मैं रहना चहिए। गंगोत्री धाम में गंगा आरती सुबह एवं शाम दोनों समय पर होती है ,जिसमें हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। आरती का दिव्य दृश्य देखकर यात्री एक सुखद अनुभूति प्राप्त करते हैं।
श्रद्धालु यात्री गंगोत्री में पहुंचकर अपने तीर्थ पुरोहितों से संपर्क स्थापित करते हैं तथा अपने पूर्वजों के बारे में पता करते हैं , तीर्थ पुरोहित के पास जो खाता होता है उनमें यात्रियों के आने का संपूर्ण विवरण लिखा होता है। यात्री अपने पूर्वजों का नाम देखकर बड़े ही प्रसन्न होते हैं। गंगोत्री के तीर्थ पुरोहित मुखवा गांव के सेमवाल हैं, जो कि गंगा मां की पूजा का करते हैं।
गंगोत्री एवं इसके आस पास के दृश्य मन को शांत और सुखद अनुभूति देते हैं। श्री गंगोत्री धाम एवं धाम से लगे मुख्य दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं श्री पांच मंदिर गंगोत्री धाम , श्री गौरी कुंड का दिव्य दर्शन , श्री सूर्य कुंडका भव्य प्रपात, श्री केदार गंगा दर्शन, श्री रूद्र हिमालय दर्शन, पटांगना श्री भीम गुफा दर्शन, श्री लक्ष्मी वनदर्शन ,श्री गंगादर्शन, कनक गिरी गुफा , चिड़वासा, भोजबासा, श्री गोमुख दर्शन , तपोवन , वासुकी ताल,रक्त वन, तपोवन , नंदनवन,, केदारताल श्री भागीरथ शिखर माला, श्री शिवलिंग शिखर ,श्री भैरव घाटी भैरव मंदिर , गरतांग गली , जांगला , श्रीकंठ दर्शन , धराली मैं श्री कल्प केदार दर्शन , सात ताल ,हरसिल मेंहरी सिला दर्शन,मुखीमठ मैं गंगा मन्दिर दर्शन जहां मां गंगा की शीतकाल मैं पूजा की जाती है इसी तरह दीपावली के एक दिन बाद अन्न कूट के दिन श्री गंगा मां के गंगोत्री के कपाट बंद होते हैं और इस दिन श्री गंगा जी की भोग मूर्ति को डोला पालकी में बिठाकर कर मुखवा गांव में लाया जाता है ,इस यात्रा में भी भारी जनसमूह उपस्थित रहता है, जो पैदल गंगोत्री से चलती है तथा रात्रि निवास मार्कंडेय के पास स्थितदेवी मंदिर में निवास कर दूसरे दिन मुखवा गांव पहुंचते है और शीतकाल में गंगा जी की यहीं पर पूजा की जाती है।
लेखक गवर्नमेंट कॉलेज में प्राध्यापक हैं।