चारधाम यात्रा को अच्छे से रेगुलेट नहीं कर पा रहा सिस्टम
ऋषिकेश। चारधाम यात्रा को राज्य का सिस्टम अच्छे से रेगुलेट करने में असफल रहा है। परिणाम हर स्तर पर खामियां दिख रही हैं और पुण्य की यात्रा अव्यवस्थाओं की यात्रा बनकर रह गई है।
दरअसल, राज्य गठन के बाद सिस्टम चारधाम यात्रा को पर्यटन के आइने से देख रहा है। इसी नजर से यात्रा को हांका भी जा रहा है। चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं पर पर्यटन के कथित विशेषज्ञ हावी हैं। तीर्थाटन के विशेषज्ञों को दूसरी नजरों से देखा जा रहा है।
अभी तक 21 सालों में राज्य सरकार ने यात्रा की व्यवस्थाओं को चाक चौबंद बनाने के लिए पंडे/पुरोहितों, यात्रा मार्ग के परंपरागत सर्विस सेक्टर से कभी चर्चा नहीं की। जबकि उक्त लोगों के पास आतिथ्य से लेकर विपरीत परिस्थितियों को हैंडिल करने का अच्छा अनुभव है।
उक्त लोगों के अनुभव से चारधाम यात्रा को अच्छे से रेगुलेट किया जा सकता है। इस वर्ष चारधाम यात्रा में उमड़ रही भीड़ ने सिस्टम की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। चारधाम यात्रा के हर पड़ाव से अव्यवस्थाओं की खबरें हैं।
यात्रा को रेगुलेट करने के नाम पर कभी यात्रियों को आगे बढ़ने से रोका जा रहा है तो कभी रजिस्ट्रेशन बंद किए जा रहे हैं। इससे देवभूमि उत्तराखंड के तीर्थाटन को लेकर अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। यही नहीं चारधाम यात्रा में तमाम सेवाओं से जुड़े लोगों को भी भीड़ का लाभ नहीं मिला पा रहा है।
ऋषिकेश से शुरू होने वाली भागमभाग चारधाम तक यात्रियों का पीछा नहीं छोड़ रही है। इससे हर कोई परेशान है। भविष्य में भी चारधाम यात्रा में पहले दो माह में ऐसी भीड़ रहने वाली है। ऐसे में जरूरी है कि सिस्टम कुछ हटकर सोचे।
चारधामों में गेट सिस्टम फिर से लागू किया जाए। ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मजबूत किया जाए। हर पड़ाव पर पार्किंग की प्रॉपर व्यवस्था हो। यात्रा पड़ावों पर पसरे अतिक्रमण के खिलाफ सख्ती की जाए। इसके अलावा चारधाम यात्रा को बारहमासी करने पर भी विचार होना चाहिए।