रामनगर, धूमाकोट, सितारगंज, धारचूला के बाद चंपावत को मिलेगा मुख्यमंत्री विधायक
देहरादून। राज्य की चंपावत ऐसी पांचवीं विधानसभा सीट होगी जहां से मुख्यमंत्री विधायक बनेंगे। इससे पूर्व रामनगर, धूमाकोट, सितारगंज और धारचूला विधानसभा क्षेत्र को मुख्यमंत्री को विधायक बनाने का मौका मिला चुका है।
आम तौर पर किसी विधानसभा क्षेत्र से चुना गया विधायक मुख्यमंत्री बनता है। मगर, संवैधानिक व्यवस्था के तहत कभी-कभी किसी विधान सभा क्षेत्र को मुख्यमंत्री को विधायक बनाने का मौका मिलता है। उत्तराखंड अभी तक चार विधानसभा क्षेत्रों को ये मौका मिल चुका है।
2002 में रामनगर विधानसभा क्षेत्र को सबसे पहले ये मौका मिला। तब यहां के विधायक रहे योगम्बर सिंह रावत ने तत्कालीन मुख्यमंत्री पं. एनडी तिवारी के लिए सीट छोड़ी थी। यहां हुए उपचुनाव में मुख्यमंत्री तिवाड़ी विधायक चुने गए थे।
अब अस्तित्व में नहीं रही धूमाकोट विधानसभा क्षेत्र ने 2007 में मुख्यमंत्री बनें जनरल बीसी खंडूड़ी को विधायक बनाया। तब खंडूड़ी के लिए कांग्रेस विधायक जनरल टीपीएस रावत ने सीट छोड़ी थी।
2012 में सितारगंज विधान सक्षा क्षेत्र ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को विधायक चुना था। बहुगुणा के लिए भाजपा के विधायक किरण मंडल ने सीट खाली की थी।
2014 में धारचूला विधानसभा क्षेत्र ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को विधायक बनाया था। तब हरदा के लिए कांग्रेस के विधायक हरीश धामी ने सीट छोड़ी थी।
अब चंपावत विधानसभा को ये मौका मिलने जा रहा है। यहां से विधायक चुने गए कैलाश गहतोड़ी ने इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विधायक बनने की राह आसान कर दी। कहा जा सकता है कि चंपावत विधान सभा क्षेत्र के मतदाताओं को मुख्यमंत्री को विधायक बनाने का मौका मिलने जा रहा है।