भाजपा कार्यकर्ताओं के सवालों में दम तो है
ऋषिकेश। कार्यकर्ताओं की संख्या के लिहाज से विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के कार्यकर्ताओं के स्तर से धीरे-धीरे बोल कोई सुनना ले की तर्ज पा उठाए जा रहे सवालों में दम तो है। ये बात अलग है किसी सवालों के दम का तब तक कोई मतलब नहीं जब तो इसे कोई सुने नहीं।
पार्टी के लिए वर्षों देने वाले कार्यकर्ताओं के स्तर से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उनके बारे में पार्टी कब सोचेगी। सरकार में होने पर दायित्वधारी बनने का नंबर नहीं आता। विधायकी का टिकट सपना बनता जा रहा है। अब तो इसके लिए बायोडाटा बनाने का उत्साह भी समाप्त होने लगा है।
वजह भी कार्यकर्ता स्वयं बताते है। दरअसल, एक ही व्यक्ति तीन-तीन, चार-चार बार विधायक हो जा रहा है। परिणाम विधायक जी की आयु वर्ग के सभी पार्टी नेताओं के आगे बढ़ने की उम्मीद लगभग समाप्त हो जाती है। राजनीतिक में समटते रोजगार का ये मामला लगभग हर राजनीतिक दल में है।
ना के बराबर कार्यकर्ता राजनीति में आगे बढ़ पा रहे हैं। अधिकांश देवतुल्य का ही टैग हासिल कर पा रहे हैं। चुनावी साल में बैठकों में उठने वाले इन सवालों पर पार्टी संगठन में बैठे पदाधिकारी रिएक्ट नहीं करते। कारण हर किसी को पता है पक रहे कार्यकर्ता फट पड़ेंगे।