तीर्थ पुरोहितों को श्री बदरीनाथ धाम में ही चाहिए भवन और भूमि
श्री बदरीनाथ। प्रस्तावित सपनों की बदरी पुरी से प्रभावित तीर्थ पुरोहितों ने दो टूक कहा कि उन्हें भवन और भूमि श्री बदरीनाथ धाम में ही चाहिए। मुआवजा देकर उनके धाम से बेदखल करने की किसी भी स्तर की मंशा को पूरा नहीं होने दिया जाएगा।
सपनों की बदरी पुरी को आकार देने के लिए मास्टर प्लान पर काम हो रहा है। इसकी जद में तीर्थ पुरोहितों के पैत्रिक घर/ जमीन आदि प्रोपर्टी आ रही है। कुछ पर बुल्डोजर चल चुका है। जिला प्रशासन बड़े आकाओं के निर्देश पर लोगों पर घर उनके हवाले करने का दबाव बना रहे हैं।
घर और जमीन के मुआवजे को ऊंची आवाज में प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा है। भू-बैकुंठ धाम में इस आवाज में अहम और वहम दोनों साफ महसूस किए जा सकते हैं। प्रशासन के इन हडकंडों के बीच तीर्थ पुरोहितों का दो टूक कहना है कि उन्हें घर और जमीन श्री बदरीनाथ धाम में ही चाहिए।
तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि मुआवजा देकर उन्हें धाम से बेदखल करने की किसी भी स्तर की मंशा को पूरा नहीं होने दिया जाएगा। साथ ही ये मांग भी जोर पकड़ने लगी है कि ध्यानी समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।
बताया जा रहा है कि श्री बदरीनाथ धाम के प्रस्तावित मास्टर प्लान और प्रभावितों को लेकर भी रिपोर्ट में संस्तुति की गई है। प्रभावित तीर्थ पुरोहित रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की लगातार मांग कर रहे हैं।
श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान और इससे प्रभावित तीर्थ पुरोहितों/हक हकूकधारियों के मामले में ये बात सामने आ रही है कि सब कुछ प्रशासन के हाथ में दिख रहा है। भाजपा सरकार के मंत्री, विधायक और अन्य नेता इस पर चुप्पी साधे हुए हैं।
आरोप लग रहे हैं कि कुछ मंत्री और विधायक तो फोन तक नहीं उठा रहे है। ऐसा ही कुछ देवस्थानाम एक्ट के विरोध के वक्त भी देखा गया था। तीर्थ पुरोहितों के बीच बातें कुछ और भी हो रही हैं। वक्त के साथ-साथ काफी बातें सामने भी आएंगी।