एम्स प्रकरण पर पॉलिटिकल क्लास की चुप्पी पर सवाल

ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स, ऋषिकेश के प्रकरण पर पॉलिटिकल क्लास के चुप्पी हैराने करने वाली है। पिछले 10 सालों में पॉलिटिकल क्लास ने राज्य के युवाओं की कभी मजबूती से एडवोकेसी नहीं की।
एम्स, ऋषिकेश के मामले एक-एक कर खुलने लगे हैं। सीबीआई जांच कर रही है। कुछ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जो मामले सामने आ रहे हैं उनके बारे में हर कोई जानता है। समय-समय पर हो हल्ला भी हो चुका है।
आंदोलन भी खूब हुए हैं। लोकल मीडिया अपने सामर्थ्य के हिसाब से मामले उजागर भी करता रहा है। मगर, पॉलिटिकल क्लास ने इस पर कभी मुंह नहीं खोला। इसको लेकर सवाल भी उठते रहे हैं और वजहों को लेकर भी खूब चर्चा होती रही है।
यही नहीं कुछ छोटे-बड़े नेता तो एम्स में भ्रष्टाचार की नीव रखने वालों के साथ खड़े दिखे। ऐसे नेताओं ने आंदोलनों को कमजोर किया। अपने हित साधने के लिए तमाम प्रपंच रचे। इसका खामियाजा राज्य के युवाओं ने भुगता।
नेताओं ने कभी भी एम्स में राज्य के युवाओं के रोजगार की एडवोकेसी नहीं की। बहरहाल, अभी तक एम्स में व्याप्त भ्रष्टाचार की बात ही हो रही है। व्यवस्थाओं का सोशल ऑडिट होना अभी बाकी है। नेताओं को साधकर व्यवस्थाएं चलाने वालों को जनता अच्छे से समझ चुकी है।