फाइल खुलवाने की जल्दबाजी कहीं बैक फायर साबित न हो

ऋषिकेश। फाइल, फाइल, फाइल। तीर्थनगरी ऋषिकेश के राजनीतिक गलियारों में इस शब्द की खूब कानाफूसी हो रही है। परिणाम सब कुछ फाइल के नाम पर उलझाया जा रहा है। इसे समय को बरबाद करने की पॉलिटिकल प्रैक्टिस है।
दरअसल, चर्चा है कि फाइल खुल रही हैं। ऋषिकेश की फाइलें 2007 के बाद से लगातार खुल रही हैं। या ये कहें कि फाइल बंद ही नहीं हुई। अब बताया जा रहा है कि फाइलों के पेज खुल रहे हैं। खास लोगों के नजदीक वाले समर्थक इससे उत्साहित हैं।
समर्थक उन फाइलों के नाम भी बता रहे हैं जो खुलने वाली हैं। इसमें क्या निकलने वाला है इस बात की भी कानाफूसी होने लगी है। हालांकि कानूफूसी में तथ्य कुछ भी नहीं है। अधिकांश बातें सुनी-सुनाई है। स्थापित हो चुके ऐसे दरबार की बातें हैं जहां सुनना होता है और फिर बाहर निकलकर सुनाना होता है।
पूरे मामले का सच ये है कि फाइल खुलवाने का प्रोजेक्ट बैक फायर कर सकता है। इस बात की शत प्रतिशत संभावनाएं हैं। पिछले पांच सालों में कई बातें सामने आ चुकी हैं। औने-पौने, आड़े-तिरछे, नदी-नालों के तीर भी फाइलों में दर्ज हैं।
विभागों की चुप्पी, सोशल मीडिया के प्रमाण सुरक्षित हैं। ये सब बातें बैक फायर करने के लिए काफी हैं। बस फाइल खुलवाले की रट जमी पर उतरने की देरी है।