गढ़वाल विश्वविद्यालय में प्रकृति की स्मृति विषय पर वेबीनार
श्रीनगर। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग एवं इस्टिट्यूट इनोवेशन सेल के सयुक्त तत्वाधान में प्रति की स्मृति पर एक ऑनलाइन वेबीनार आयोजित किया गया।
क्रिया यूनिवर्सिटी के डा. विकाश पांडे वेबीनार के मुख्य वक्ता रहे। उन्होंने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से यह बताया कि नेचर की भी अपनी स्मृति होती है जिसको कि कई उदाहरणों के माध्यम से दिखाया और समझाया।
सर्वप्रथम एक गणितीय खेल द्वारा यह समझाने का प्रयास किया गया कि क्यों प्रकृति इतनी जटिल है, उसके साथ ही फ्रेक्शनल डेरिवेटिस का कान्सेप्ट समझाया गया और बताया गया किस तरह इसका प्रयोग करके कई प्रकृति में होने वाली घटनाओं के पूर्वअनुमान लगाये जा सकते हैं। साथ ही एक उद्धरण कि“ तुम सागर में एक बूंद नहीं हो बल्कि तुम एक बूंद में पूरा सागर हो“ दिखाया और समझाया गया।
दलदल और गुंथे हुए आटे जैसे उदाहरणों के माध्यम से समझाया गया कि इनको ठोस या द्रव से से इन्हें क्या माना जा सकता है। साथ ही बताया कि पर्वत प्राचीनकाल मैं तैरते हुए माने जाते थे, कुछ निमयों द्वारा द्रवो की स्मृति को दर्शाया गया और अपने प्रयोग एवं शोध का विस्तृत वर्णन किया, साथ ही यह भी बताया कि कैसे उन्होंने अपने शोध में फ्रेक्शनल कैलकुलस को क्लासिकल कैलकुलस से जोड़ा, अंत में प्रकृति में होने वाली कुछ प्राकृतिक आपदाओं और कारको जैसे भूस्खलन कभी-कभी ही होते हैं, आपदाएं निश्चत अंतराल में होती है इत्यादि के साथ अपने लेक्चर को पूर्ण किया।
कार्यक्रम का संचालन भौतिकी विभाग की छात्रा दीक्षा रावत द्वारा किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ मे इंस्टीट्यूट इनोवेशन सेल के प्रेसिडेंट प्रो. अतुल ध्यानी द्वारा स्वागत भाषण दिया गया। धन्यवाद ज्ञापन आई आई सी के वाइस प्रेसिडेंट डा. आलोक सागर गौतम द्वारा दिया गया।
इस अवसर पर प्रो. एस सी गैरेला, डा. मीरा रावत, आई आई सी के शिक्षक सदस्य, और छात्र संचालक महावीर मूंद, शिवानी कुलासारी, दीक्षा रावत, वैभव भंडारी और अन्य स्नातक एवं स्नातकोत्तर के 100 से अधिक छात्र छात्राओं ने भाग लिया।