क्या उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में नंबर देने में कंजूसी हुई ?
सम्मान सहित और प्रथम श्रेणी में पास होने वालों की संख्या में भारी गिरावट
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। उत्तराखंड बोर्ड की 10 वीं की परीक्षा में सम्मान सहित पास होने वालों की संख्या में खासी कमी आई है। ऐसा नंबर देने में कंजूसी की वजह से हुआ या इसकी कुछ और वजह है।
उत्तराखंड बोर्ड की 10 वीं की परीक्षा प्रतिशत में जरूर सुधार हुआ है। 2018,19 और 20 के मुकाबले पास होने वालों की संख्या में करीब दो प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस वर्ष करीब 77.47 प्रतिशत छात्र पास हुए। रिजल्ट में खास बात ये है कि सम्मान सहित पास होने वालों की संख्या में जबरदस्त गिरावट देखे गई।
इस वर्ष 5.70 प्रतिशत छात्र ही सम्मान सहित पास हुए। 2018 में 8.35, 19 में 9.17 और 20 में 8.54 प्रशितत छात्र सम्मान सहित उत्तीर्ण हुए थे। प्रथम श्रेणी में पास होने वालों की संख्या में तो खासी गिरावट आई है। इस वर्ष 18.80 प्रतिशत छात्र प्रथम श्रेणी में पास हुए। 2018 में करीब 26.31 प्रतिशत, 19 में 27.81 और 20 में 29.30 प्रतिशत छात्र/छात्राएं प्रथम श्रेणी में पास हुए थे।
अब सवाल उठता है कि क्या बोर्ड परीक्षा में नंबर देने में कंजूसी हुई। क्या नंबर देने में हुई कंजूसी से सम्मान सहित और प्रथम श्रेणी में पास होने वालों की संख्या कम हुई। या वजह कुछ और है। नंबर देने में कंजूसी होने की बात पर ज्यादा दम नहीं लगता। मेधा सूची इसका प्रमाण भी है। टॉपर ने 99 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं।
हां, ये बात जनता में पहली की तरह अब भी चर्चा में है। रिजल्ट में बच्चों के अंक देखकर कई अभिभावकों के मुंह से ऐसा सुना भी गया। हां, कोविड-19 की इसमें थोड़ा बहुत भूमिका जरूर है। मैदानी जिलों के रिजल्ट में ये दिख भी रहा है। इसके अलावा कुछ वजह भी हैं। संभवतः समीक्षा में कई बात सामने आएंगी।
शिक्षा विभाग समीक्षा में शिक्षकों को सीधे-सीधे शामिल करेगा तो वजह सामने आ सकेंगी और इसके निदान हो सकेगा।