स्थानांतरण नियमावली के ड्राफ्ट का सोशल मीडिया में पोस्टमार्स्टम
हरियाणा में नहीं हैं धार-खाल तो उसे कॉपी करने की क्या जरूरत
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। राज्य के स्कूली शिक्षकों के लिए तैयार की गई गई स्थानांतरण नियमावली का सोशल मीडिया में शिक्षकों ने पोस्टमार्टम करना शुरू कर दिया है। नियमावाली के ड्राफ्ट में हरियाणा की पॉलिसी को कॉपी किए जाने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
राज्य में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए कानून, नियमावली, नीति से पहले इच्छा शक्ति और अच्छी नीयत की जरूरत है। इससे भी पहले शिक्षकों और विभाग के बीच अच्छे संबंधों की आवश्यक्ता है। शिक्षक विभागीय अधिकारियों का सम्मान करें और विभागीय अधिकारी शिक्षकों का दुगना सम्मान करें।
ऐसा हुआ तो समाज में सरकारी शिक्षा को लेकर फैली नकारात्मकता कम होगी। इसके बाद विभागीय व्यवस्थाएं अच्छी की जा सकती हैं। इसमें शिक्षकों के स्थानांतरण भी शामिल है। शिक्षा विभाग जितने तत्परता से शिक्षकों के स्थानांतरण हेतु सुगम-दुर्गम की फाइल तैयार करता है उतनी ही तत्परता शिक्षकों के प्रमोशन में भी दिखाई जानी चाहिए।
शिक्षकों के आगे बढ़ने के मौकों को कम करने, प्रमोशन की परंपरागत व्यवस्था में परिवर्तन न करने की वजह से विभागीय व्यवस्थाओं में जड़ता आ गई है। बहरहाल, अब स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों के स्थानांतरण को तैयारी नियमावली की बात करते हैं।
नियमावली का ड्राफ्ट में हरियाणा की पॉलिसी का भाव इसमें नकारात्मकता पैदा कर रहा है। आखिर हरियाणा की पॉलिसी उत्तराखंड सरकार को क्यों भा रही है। उत्तराखंड में स्थानांतरण का मामला पूरी तरह भौगोलिक परिस्थिति पर आधारित है। हो हल्ला और सवालों के आलोक में भी भौगोलिक परिस्थिति है। क्या हरियाणा में ऐसा है। हरियाणा में धार-खाल हैं ?
ड्राफ्ट पर शिक्षकों से सुझाव मांगे गए हैं। शिक्षक सुझाव भी दे रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया में स्थानांतरण नियमावली का पोस्टमार्टम भी कर रहे है। नियमावली के तमाम बिंदुओं को पहाड़ विरोधी भी बताया जा रहा है। यही नहीं शिक्षक इससे बेहतर 2013 की पॉलिसी को बता रहे हैं।
हिन्दी न्यूज पोर्टल www.tirthchetna.com इस मामले में शिक्षकों के तथ्यपरक सवालों को लगातार उठाता रहेगा।