परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय संस्कृत संगोष्ठी शुरू
ऋषिकेश। तीर्थनगरी ऋषिकेष के परमार्थ निकेतन में वैश्विक संस्कृत मंच और गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, कर्णप्रयाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय संस्कृत संगोष्ठी शुरू हो गई।
बुधवार को परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, ऋषिकेश की महापौर श्रीमती अनीता ममगाईं,वैश्विक संस्कृत मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विष्णुपद महापात्रा ने दीप प्रज्जवलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
इस मौके पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि संस्कृत भाषा वैज्ञानिक भाषा है जिसको पूरा विश्व मानता है संस्कृत हमें जीवन जीना सिखाती है इस प्रकार की संस्कृत शोध संगोष्ठीयों से जहाँ शोधार्थियों को सीखने का अवसर प्राप्त होता है। संस्कृत में निहित गूढ़ ज्ञान भी जन मानस में उपस्थित किया जाता है।
कार्यक्रम की मुख्यातिथि ऋषिकेश की महापौर श्रीमती अनिता ममगाईं ने कहा कि संस्कृत भाषा वेदों की भाषा है। संस्कृत में सभी संस्कार निहित है जो हमारी संस्कृति को गौरवान्वित करते है तथा मानव को मानवता सिखाती है।
वैश्विक संस्कृत मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विष्णुपद महापात्रा ने मंच के कार्यों पर प्रकाश डाला,कार्यक्रम में विशिष्ट व्यक्ता जोरावर सिंह ने संस्कृत वाङ्गमय में राष्ट्र के अभ्युदय के अनवरत स्रोत विषय पर विशिष्ट व्याख्यान दिया कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम के संयोजक डॉ शक्तिप्रसाद उनियाल ने किया ।
इस अवसर पर मंच के प्रदेश अध्यक्ष डॉ जनार्दन प्रसाद कैरवान राष्ट्रीय सचिव डॉ राजेश प्रसाद मिश्र डॉ मृगांक मालसी डॉ संदीप भट्ट डॉ भारती कनोजिया डॉ वेदव्रत डॉ केदार प्रसाद पुरोहा डॉ मदन शर्मा डॉ देशबंधु भट्ट पुरुषोत्तम कोठारी सर्वेश तिवारी डॉ डॉ प्रताप चौहान डॉ कीर्तिराम डंगवाल श्री प्रेमचंद नवानि आदि उपस्थित थे।