जनता का सभी धाणी देहरादून और नेताओं का सभी धाणी दिल्ली

हाल-ए- उत्तराखंड
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद सत्ताधीशों ने ऐसी व्यवस्थाएं बनाई कि आम लोगों के लिए सभी धाणी देहरादून हो गया। सत्ताधीशों के सत्ताधीशों ने ऐसी व्यवस्थाओं बनाई कि राज्य के सत्ताधीशों के लिए सभी धाणी दिल्ली हो गया।
उत्तराखंड राज्य की स्थिति राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने अजीबोगरीब बना दी है। राज्य के हर छोटे-बड़े निर्णय में दिल्ली की छाया साफ दिखती है। इसमें राज्य के हितों को लेकर हर स्तर पर घालमेल दिखता है। दिल्ली खुश तो जनता को खुश होना ही पड़ेगा।
दरअसल, इसके लिए जनता अधिक जिम्मेदार है। जनता उन्हें विधायक/सांसद चुनती है जो दिल्ली द्वारा तय किए जाते हैं। यहीं से बात बिगड़ती है और राज्य का हर निर्णय दिल्ली पर आधारित हो जाता है। जनता वोट देती है और दिल्ली अपनी पसंद का मुख्यमंत्री, मंत्री और राज्यसभा का सांसद बनाती है।
ये सभी माननीय छोटी-मोटी बातों के लिए भी दिल्ली की ओर टपराते हैं। इन दिनों राज्य में विधानसभा में नौकरियों की बंदरबांट का मामला छाया हुआ है।राज्य में इसकी जांच हुई। रिपोर्ट में विधानसभा की नियुक्तियों में अनियमितता की बात सामने आए। नौकरी लगे लोग हटाए जाने लगे हैं।
नौकरियों की बंदरबांट करने वाले अभी भी सरकार में हैं। ऐसा सिर्फ उत्तराखंड में ही देखने को मिल सकता है। इस पर निर्णय के लिए उत्तराखंड के लोगों की चुनी हुई सरकार दिल्ली की तरफ देख रही है। नेताओं के दिल्ली दिल्ली दौरे शुरू हो गए हैं।
करीब महीने भर से ऐसा प्रचारित किया जा रहा है कि दिल्ली उत्तराखंड को लेकर कुछ बड़ा करना तय कर चुकी है। मगर, हर मुलाकात, हर दिल्ली दौरे, छोटे-बड़े नेताओं के मूवमेंट के बाद लगने वाले कायसों के बाद स्थिति ये है किसी बड़े एक्शन की कोई सूरत दूर-दूर तक नहीं दिख रही है।