पेयजल की नियमित बायोलॉजिकल जांच जरूरी

पेयजल की नियमित बायोलॉजिकल जांच जरूरी
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ऋषिकेश। पेजयल की नियमित बायोलॉजिक जांच जरूरी है। इससे जल स्रोतों की स्वच्छता आदि अभिष्ट जानकारी बराबर मिलती रहेंगे और सुधार को प्रयास संभव होंगे।

ये कहना है स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय प्रो. संजय गुप्ता का। मौका था श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के ऋषिकेश परिसर में स्थित बीएमएलटी में आयोजित क्षेत्रीय आउटरीच अभिविन्यास प्रशिक्षण कार्यशाला का। कार्यशाला में जल स्रोतों की गुणवत्ता वमूल्यांकन पर मंथन किया गया।

कहा कि पेयजल की बायोलॉजिक जांच बड़े स्तर पर नियमित अंतराल पर करने को आवश्यक है। डॉ गुप्ता ने पानी में मौजूद जैविक रसायनों के बारे में वहां मौजूद प्रतिभागियों को विस्तारपूर्वक सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की।

मुख्य अतिथि प्रो. पंकज पंत ने कहा कि जल ही जीवन है, अतः जल को बचाना हमारा कर्तव्य है, उन्होंने कहा कि हमें अपने प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण करना आवश्यक है वरना एक समय ऐसा आयेगा जब जल नही रहेगा और पृथ्वी खत्म हो जाएगी। उन्होंने पेयजल कृषि उपयोग के लिए जल, ओद्योगिक संस्थानों में प्रयुक्त होने वाले जल आदि की आवश्यकताओं के अनुरूप जल की उपलब्धता व उपयोग पर जोर दिया।

प्रो गुलशन कुमार ढींगरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि बिना जल के जीवन संभव नहीं है। इस कार्यशाला से छात्रों में एक जागृति आएगी, जल का संरक्षण हमारा उद्देश्य होना चाहिए। प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो विनय सिन्हा ने कहा कि स्वच्छ पानी अच्छे स्वास्थ्य का परिचायक है व उन्होंने उत्तराखंड के जल स्रोतों के प्रदूषण के कारको पर प्रकाश डालते हुए उनके सुरक्षित रखने के तरीके पर अपना विशेषज्ञ व्याख्यान दिया।

जल संस्थान के अभियंता श्री अनिल नेगी ने उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा ऋषिकेश क्षेत्र में जल गुणवत्ता पर किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया। कार्यशाला समन्वयक डॉ प्रशांत सिंह ने अपने तकनीकी व्याख्यान में जल स्रोतों की गुणवत्ता वह सुरक्षा पर संबोधित करते हुए बताया कि अब तक प्रदेश के 10 जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं को एनएबीएल की मान्यता प्राप्त हो चुकी है तथा शेष प्रयोगशालाओं का जल्द ही प्रमाणीकरण हो जाएगा।

कार्यशाला में राज्य स्तरीय जल गुणवत्ता प्रयोगशाला के तकनीकी प्रबंधक डॉ विकास कंडारी ने फील्ड टेस्टिंग किट के द्वारा प्रतिभागियों को जल में मौजूद जल गुणवत्ता के सभी भौतिक- रासायनिक एवं जैविक मानको का प्रशिक्षण दिया, जिसमे अर्चित पाण्डेय ने महत्वपूर्ण प्रयोग कर जल नमूने की जांच करके दिखाई ।

अंत में मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग की प्राध्यापिका श्रीमती शालिनी कोटियाल द्वारा सभी अतिथियों का व प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यशाला का संचालन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी विभाग की प्राध्यापिका सफिया हसन द्वारा किया गया।

Tirth Chetna

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