शिक्षकों के प्रमोशन और तबादले रूके, अधिकारियों के हो रहे
ऋषिकेश। स्कूली शिक्षकों के प्रमोशन और तबादले चुनाव आचार संहिता के नीचे ढंग से दब गए हैं। हां, अधिकारियों के प्रमोशन के आदेश आचार संहिता में भी हो रहे हैं। इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
निर्वतमान सरकार ने स्कूली शिक्षकों के प्रमोशन और तबादले की फाइल इतनी गति से दौड़ाई की फोटो फिनिश में चुनाव आचार संहिता की पकड़ में आ गई। ऑल इज वेल बता रहे अधिकारियों ने स्वयं ही निर्णय पेंडिंग में डाल दिया है।
अब ये प्रमोशन और तबादलों के फाइल पूरी तरह से चुनाव आचार संहिता के नीचे दब गई है। 14 फरवरी के बाद दबी हुई फाइल निकल भी सकेगी या नहीं कहा नहीं जा सकता। पुराने अनुभव कुछ ऐसा ही बताते हैं। 2016 में हुए शिक्षकों के तबादलों को निर्वतमान सरकार चार साल तक कोसती रही।
ऐसे में चुनाव के बाद क्या होगा कहा नहीं जा सकता है। शिक्षकों में इसको लेकर खासी नाराजगी देखी जा रही है। बहरहाल, जहां, शिक्षकों के प्रमोशन और तबादले रूक गए हैं। वहीं शासन अधिकारियों के प्रमोशन चुनाव आचार संहिता में भी कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग में एक डाक्टर को अपर निदेशक से निदेशक पद पर प्रमोट किया गया।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब शासन स्तर पर अधिकारियों का चुनाव आचार संहिता में प्रमोशन मिल सकता है तो फिर शिक्षकों के मामलों पर क्यों आचार संहिता का भार डाला जा रहा है।