परमार्थ निकेतन में 36 वां अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव संपन्न
अंतिम दिन 75 देशों के योग साधकों ने जाना फूलदेई के बारे में
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। फूलों की होली और उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेई के साथ परमार्थ निकेतन में 36 वें अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का समापन हो गया।
परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, अतुल्य भारत , पर्यटन मंत्रालय,संस्कृति मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव गुरूवार को संपन्न हो गया। अन्तिम दिन 75 देशों से आये 1400 योग जिज्ञासुओं, 25 देशों से आये 65 योगाचार्यों को पतंजलि योगपीठ, आयुर्वेद के आचार्य, आचार्य बालकृष्ण और आध्यात्मिक गुरू प्रेमबाबा का सानिध्य प्राप्त हुआ।
इस मौके पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती , साध्वी भगवती सरस्वती, आचार्य बालकृष्ण और प्रेमबाबा जी के पावन सान्निध्य में वैश्विक योगी परिवार ने उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति व परंपरा का प्रतीक उत्तराखण्ड के लोकपर्व फूलदेई को मनाया। विदेशी योग साधकों ने इसके बारे में जाना।
आध्यात्मिक गुरूओं, योगाचार्यो और योग जिज्ञासुओं ने माँ गंगा में डूबकी लगायी तथा सभी ने मिलकर विश्व शान्ति की प्रार्थना की। विश्व प्रसिद्व ड्रमवादक शिवमणि और सूफी गायिका रूना रिजवी शिवमणि ने होली के गीत गाए।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज वैश्विक योगी परिवार को होली पर्व के माध्यम से विश्व बंधुत्व का संदेश देते हुये कहा
कि “भारत समग्रता, एकता और एकजुटता में विश्वास करता है। भारत की आत्मा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ में विश्वास करती है। आज पूरे विश्व को इसी दिव्य मंत्र ‘‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर‘‘ को आत्मासात करने की जरूरत है।
आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने के लिये योग के साथ आयुर्वेद युक्त जीवन शैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है। हिमालय की इस दिव्य धरा से आप आयुर्वेद के सूत्रों को लेकर जायें।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत का प्रत्येक पर्व एक संदेश देता है। चाहे वह प्रकृति के संरक्षण का हो, परिवार के
संरक्षण का हो या संस्कारों के संरक्षण का हो। आज हम उत्तराखंड की समृद्ध परम्परा का प्रतीक फूलदेई पर्व के साथ
होली का दिव्य पर्व मना रहेे हैं।
आपके उपर जिस प्रकार पुष्पों की वर्षा की जा रही हैं वैसे ही आप भारत की इस दिव्य संस्कृति की वर्षा, यहां के दिव्य मंत्रों, सूत्रों व सिद्धान्तों की वर्षा अपने राष्ट्रों में करेंगे तो यह बंधुत्व का संदेश दूर तक जायेगा जिससे वर्तमान समय में पूरा विश्व जिन ज्वलंत समस्याओं का सामना कर रहा है उसका समाधान शीघ्र ही प्राप्त किया जा सकता है।
प्रेमबाबा ने कहा कि मानव का एक ही धर्म है ‘आपस में प्रेम करना’। आपने सात दिनों तक परमार्थ निकेतन में जिस प्रेम
का अनुभव किया उसे अपने साथ प्रसाद स्वरूप लेकर जाये यहीं महोत्सव की पूर्णाहुति है।
आज अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अन्तिम दिन सभी प्रतिभागियों ने माँ गंगा के पावन तट पर विश्व शांति के लिए मौन प्रार्थना की और विश्व शान्ति हवन में आहुतियाँ समर्पित कर इस विश्व विख्यात योग महोत्सव की पूर्णाहुति की।