स्कूलों का नामिका निरीक्षण अब नामिका अनुश्रवण के नाम से
देहरादून। राज्य के स्कूलों का नामिका निरीक्षण अब नामिका अनुश्रवण के नाम से होगा। नामिका निरीक्षण तीन दिन का होता था और नामिका अनुश्रवण दो ही दिन का होगा।
राज्य की स्कूली शिक्षा नए-नए प्रयोगों के लिए जानी जाती है। पहले प्रयोग परिणामों की समीक्षा से पहले दूसरा प्रयोग शुरू हो जाता है। अब एक नया प्रयोग हो रहा है। इसका नाम है नामिका अनुश्रवण। ये स्कूलों के नामिका निरीक्षण का बदला हुआ नाम है।
स्कूलों में हर तीसरे वर्ष होने वाले नामिका निरीक्षण का खास महत्व होता था। यकीन मानिए अप-डाउन के दौर से पहले स्कूलों में इसका असर दिखता था। नामिका निरीक्षण की टीम में शामिल शिक्षक कुछ खास लगते थे।
हाल के सालों में अब स्कूलों में नामिका निरीक्षण बेनूर से हो गए। हर स्तर पर इसको लेकर अरूचि प्रभावी है। लगता नहीं कि शिक्षा विभाग में कभी इसकी समीक्षा हुई होगी। नामिका निरीक्षण को प्रभावी बनाने के लिए न किसी प्लान के बारे में सुना गया और न दिखा।
स्कूलों के नामिका निरीक्षण को पीछे छोड़ते हुए अब नया नाम दिया गया है। अब स्कूलों का दो दिवसीय नामिका अनुश्रवण होगा। अंतर बहुत ज्यादा नहीं है। हां, दिन एक घट गया है। अनुश्रवण भारी सा शब्द है और अक्सर सचिवालय से निकली चिठी में दिखता है।
उम्मीद है कि बड़े स्तर से नामिका अनुश्रवण के फरमान का स्कूलों को लाभ मिलेगा। स्कूलों की व्यवस्थाएं सुधरेंगी। शिक्षण से लेकर भौतिक जरूरतों की कमी दूर होंगी। स्कूलों की समस्याएं सक्षम स्तर त न केवल पहुंचेंगी बल्कि इनका निदान भी होगा।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि नामिका निरीक्षण में दिखने वाली अरूचि जैसा नामिका अनुश्रवण में न हो।