उत्तराखंड के शिक्षकों में इन दिनों चर्चा में है हरियाणा

ऋषिकेश। हरियाणा रोडवेज की बस फेमस हैं। अक्सर इसकी विभिन्न वजहों से चर्चा होती है। अब उत्तराखंड के शिक्षकों के बीच हरियाणा की ट्रांसफर नीति की चर्चा है।
उत्तराखंड राज्य में हरियाणा की सबसे अधिक चर्चा होती है। विभिन्न क्षेत्रों और नाना प्रकार से लोग हरियाणा को याद करते हैं। अब राज्य के शिक्षकां के बीच हरियाणा की ढेर चर्चा हो रही है। चर्चा की वजह स्कूली शिक्षा के सवेसर्वा को हरियाणा की ट्रांसफर नीति भा रही है। एक दल हरियाणा का चक्कर लगाकर भी आ गया।
शिक्षक सतीश जोशी ने अपने सोशल मीडिया के नियमित कॉलम ’“चाय पर चर्चा में हरियाणा की ट्रांसफर नीति और उत्तराखंड के ट्रांसफर एक्ट की तुलना की है। इसके लिए तमाम जानकारी जुटाई गई हैं। पेश ही चार्य पर चर्चा।
हरियाणा की ट्रांसफर पॉलिसी में ऐसा क्या है जो उत्तराखण्ड की ट्रांसफर पॉलिसी में नहीं था या उत्तराखण्ड के ट्रांसफर एक्ट में नहीं है। ….
’हरियाणा की ट्रांसफर पॉलिसी के संक्षिप्त में मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं।
’1- राज्य कैडर व जिला कैडर में कार्यरत शिक्षकों का क्रमशः पूरे राज्य में व जिले में कहीं भी ट्रांसफर किया जा सकता है।
.2- सार्थक मॉडल, संस्कृति मॉडल, आरोही मॉडल आदि स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को इस पॉलिसी से बाहर रखा गया है।
3- अम्बाला, जिंद, कैथल, करनाल कुरुक्षेत्र, महेन्द्रगढ़, पलवल, पंचकुला, पानीपत और रोहतक जिले के स्कूलों को 07 कैटेगरीज में बांटा गया है. ( इन 07 कैटेगरीज को जिला मुख्यालय, म्युनिसिपल एरिया, ब्लॉक हेडक्वार्टर, राष्ट्रीय राजमार्ग, मुख्य बस स्टेशन से दूरी आदि आदि के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
4- भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, मेवात, रेवाड़ी, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर जिलों के स्कूलों का अलग से वर्गीकरण किया गया है।
5- सामान्य ट्रांसफर वर्ष में केवल एक बार होंगे. प्रमोशन, नई नियुक्ति, पति-पत्नि, जनहित में यदि कोई पद भरना जरूरी हो, आदि प्रकार के ट्रांसफर वर्ष में कभी भी किए जा सकते है।
6- 31 मार्च को शिक्षकों के ट्रांसफर हेतु गुणांकों की गणना की अंतिम तिथि मानी जाएगी।
7- ट्रांसफर ऑर्डर अप्रैल-मई में किए जाने का प्रावधान है।
8- प्रत्येक शिक्षक को एक जोन/ स्कूल में मात्र 05 साल तक कार्य करने की अनुमति है. उसके बाद उसका अनिवार्य ट्रांसफर दूसरे जोन में होगा।
9- वास्तविक रिक्तियों व संभावित रिक्तियों की घोषणा प्रतिवर्ष 01 जनवरी से 15 जनवरी के बीच किए जाने का प्रावधान है।
10- यदि संभावित रिक्ति वाले स्कूल में अनिवार्य ट्रांसफर वालों में से कोई शिक्षक अपना विकल्प नहीं देता और उस स्कूल में कार्यरत शिक्षक उसी स्कूल में रुकने का विकल्प देता है, तो उस शिक्षक को अगले पांच साल तक उसी स्कूल में रहना होगा. और अगले पांच साल पूर्ण होने पर ही उसको दूसरे जोन में ट्रांसफर किया जाएगा।
11- ट्रांसफर की पात्रता हेतु 80 अंक निर्धारित हैं. जिसमें उम्र को सर्वोच्च वरीयता दी गयी है. उम्र हेतु अधिकतम 60 अंक निर्धारित हैं. अन्य 20 अंकों को, विदुर, विधवा, तलाकशुदा, बीमार, परीक्षा परिणाम, महिला आदि श्रेणीयों में विभाजित किया गया है।
’( उम्र निकालने का फार्मूला है- उम्र = उम्र दिनों की संख्या में /365 )’
12- दूरस्थ जोन में कार्यरत शिक्षक यदि शहरी जोन के स्कूल हेतु आवेदन करता है तो उसके लिए वह स्थान खाली करना पड़ेगा।
13- कोई शिक्षक ट्रांसफर हेतु संबंधित जोन के कितने भी स्कूलों के विकल्प दे सकता है।
14- एक जोन 8वीं जोन भी है. इस जोन में वह शिक्षक आएंगे, जो राज्य में किसी भी स्थान पर भेजे जाने का विकल्प प्रस्तुत करेंगे. इस जोन का विकल्प प्रस्तुत करने वाले शिक्षकों को विभाग उन स्कूलों में भेजेगा जहाँ शिक्षकों की नितांत आवश्यकता हो।
’ऐसे शिक्षकों को यदि विभाग ’मोरनी हिल्स’ या मेवात जिले के ऐसे स्कूलों में भेजता है, जिन स्कूलों के लिए किसी शिक्षक ने विकल्प नहीं दिया हो, तो ऐसे शिक्षकों को मूल वेतन और डीए का 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान किया जाने का प्रावधान है।
15- ट्रांसफर हेतु न्यूनतम 03 साल की सेवा होनी जरूरी है।
16- प्रशासनिक आधार पर होने वाले ट्रांसफर के मामलों में सम्बंधित शिक्षक का भविष्य में पुनः उस स्कूल में ट्रांसफर नहीं किया जाएगा।
17- जो शिक्षक ट्रांसफर होने पर कार्यभार ग्रहण नहीं करेंगे. उसका वेतन रोक दिया जाएगा।
.18- जो शिक्षक अपना ट्रांसफर किसी भी माध्यम से रुकवाने का प्रयास करेगा, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
19- ट्रांसफर हेतु शिक्षकों को ऑनलाइन आवेदन करने का प्रावधान है।
.20- सामन्यतः यह माना गया है कि एक शिक्षक की सम्पूर्ण सेवा लगभग 35 साल होगी. ऐसे में प्रति जोन ( 7×5=35) 5 साल नौकरी करनी होगी।