शिक्षक रहेगा हैप्पी तो स्कूलों में दिखेगी शैक्षिक गुणवत्ता

देहरादून। सरकारी स्कूलों के शिक्षक हैप्पी रहेंगे तो स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता के लिए अपने आप माहौल तैयार हो जाएगा। स्कूल और कॉलेजों से व्यवस्था जैसे शैक्षणिक परिणामों की अपेक्षा रखेगी उन्हें आसानी से प्राप्त किया जा सकेगा।
देहरादून के एक स्कूल में चल रहे शैक्षिक चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी स्कूलों को लेकर उसी प्रकार की चिंता व्यक्त की जैसे इससे पूर्व के मुख्यमंत्री करते रहे हैं। इसमें सबसे प्रमुख चिंता सरकारी स्कूलों में घटती छात्र संख्या है। इससे समस्या से निपटने के लिए शैक्षिक गुणवत्ता की एडवोकेसी होती है।
इसके लिए पिछले 20-21 सालों में स्कूल से लेकर कॉलेज की शिक्षा में खूब प्रयोग हो रहे हैं। बावजूद इसके छात्र संख्या में आशातीत बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। इसे सरकारी स्कूलों को लेकर चिंता की बात इसलिए नहीं माना जा सकता कि ये मांग और आपूर्ति का मामला है।
पहले जिस क्षेत्र में एक इंटर कालेज होता था अब चार हैं। छात्र सभी स्कूलों में बंटेंगे ही। पलायन दूसरी वजह है। तीसरी वजह परिवार नियोजन है। इन सब वजहों से ये तो स्पष्ट है कि सरकारी स्कूलों में घटती छात्र संख्या की वजह शिक्षक तो नहीं हैं।
हां, शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए प्रयास होने चाहिए। इन प्रयासों को आगे बढ़ाने में शिक्षकों को पूरी तरह से साथ रखा जाना चाहिए। यानि शिक्षकों के धरातलीय अनुभवों का लाभ उठाया जाना चाहिए। इसके अलावा शिक्षकों की समस्याओं के निराकरण समय से होने चाहिए। इसमें प्रमोशन के मामले प्रमुख रूप से शामिल है।
कुल मिलाकर सरकारी स्कूलों का शिक्षक हैप्पी रहेगा तो स्कूलों में शैक्षिक सुधार का माहौल अपने आप बन जाएगा। ऐसा हुआ तो सिस्टम को सरकारी स्कूलों से अपेक्षित परिणाम आसानी से मिलने लगेगा। सरकारी स्कूलों को लेकर समाज का बना माइंडसेट बदलेगा। बाजारी शिक्षा हतोत्साहित होगी।