राज्य के लिए दलीय निष्ठाओं को त्याग सकेंगे पूर्व विधायक
पॉलिटिकल अटेंशन पाने को तो नहीं बना संगठन
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। राज्य के पूर्व विधायकों ने पूर्व कैबिनेट मंत्री लाखीराम जोशी के नेतृत्व में एक संगठन खड़ा किया है। सवाल उठ रहा है कि संगठन की छतरी के नीचे पूर्व विधायक दलीय निष्ठाओं को त्याग सकेंगे।
राज्य में पहली बार पूर्व विधायकों ने संगठन खड़ा किया है। पूर्व विधायकों को इसकी क्या जरूरत आन पड़ी, ये बड़ा सवाल है। वजह अधिकांश विधायक भाजपा और कांग्रेस से संबंधित रहे हैं। उत्तराखंड की जनता को दोनों दलों के फेर में पड़ने से राज्य का बुरा हाल हुआ है। कारण दोनां दल दिल्ली से नियंत्रित होते हैं।
राज्य के असली सवालों से दोनों दलों के दिल्ली में बैठे हाईकमान से कोई लेना देना नहीं है। उत्तराखंड के लोगों को मूल निवासी से स्थायी निवासी बनाने वाले उक्त दो दलों के पूर्व विधायकों को आखिर क्या संगठन बनाने की क्या सूझी। इसको राज्य के जागरूक लोग संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं।
उत्तराखंड राज्य के 22 साल के इतिहास पर गौर करें तो राज्य के किसी भी नेता ने (पूर्व विधायक और पूर्व सांसद) ने राज्य के बेहतरी के लिए अपने राजनीतिक दलों से बगावत नहीं की। यानि कभी भी किसी ने भी राज्य के लिए दलीय निष्ठा को नहीं त्यागा।
कांग्रेस से बगावत करने वाले भाजपा के हो गए। भाजपा में बगावत या लाभ न मिलने की स्थिति में कुछ कांग्रेस के हो गए।ऐसे में पूर्व विधायकों का एक मंच पर आए हैं तो चर्चा तो होगी। बताया जा रहा है कि पूर्व विधायकों का संगठन राज्य के ज्वलंत मुददों को उठाएगा। साथ ही पूर्व विधायकों से जुड़े मुददे भी उठाए जाएंगे।
पूर्व विधायकों के मुददे उठाने वाली बात पर तो यकीन किया जा सकता है। मगर, राज्य के सवालों को उठाने के लिए जरूरी है कि पूर्व विधायक दलीय निष्ठा को त्यागें। ऐसा होने की संभावना ना के बराबर है। राज्य के किसी भी नेता का राज्य के सवालों पर अलग राह पर चलने का इतिहास नहीं रहा है।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या पूर्व विधायक पॉलिटिकल अटेंशन पाने के लिए तो संगठन नहीं बनाया है। आने वाले दिनों ये स्पष्ट भी हो जाएगा। यदि पूर्व विधायक दलीय निष्ठाओं से उपर उठे तो निश्चित रूप से उत्तराखंड राज्य को इसका लाभ मिलेगा।