शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत की अच्छी पहल, धरातल पर उतर जाए
देहरादून। स्कूली शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत अच्छी पहल करने की मंशा रखते हैं। पहल है प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के बीच शैक्षणिक आदान प्रदान का।
स्कूली शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत की उक्त पहल धरातल पर उतर सकेगी। ये बड़ा सवाल है। क्या इसके लिए सरकार सिस्टम बना सकेगी। यदि सिस्टम बन सकेगा तो निश्चित रूप से स्कूली शिक्षा में ये अभिनव प्रयोग होगा।
दरअसल, स्कूली शिक्षा में प्राइवेट स्कूल और सरकारी स्कूल नदी के दो किनारों की तरह हैं। एक पूरी तरह से बाजार पर आधारित है और दूसरा सोशल वेलफेयर। बाजारी शिक्षा तेजी से समाज में घर कर रही है और सरकारी स्कूली शिक्षा सरकार होने का एहसास भर कराती है।
हां, प्राइवेट स्कूल और सरकारी स्कूलों में बहुत सी बातों का आदान प्रदान हो सकता है। बस इसमें प्राइवेट स्कूल तैयार हो जाएं। शिक्षा मंत्री की मंशा के मुताबिक शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार प्रयास हो सकते हैं। पढ़ाने के मामले में प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में खास अंतर नहीं है। हां, संसाधनों में थोड़ा अंतर हो सकता है।
प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों को सरकारी स्कूल के शिक्षकों से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। प्राइवेट के शिक्षक सीख सकते हैं कि पढ़ाने के अलावा मिड-डे-मील की व्यवस्थाएं, तत्काल डाक तैयार करने, डॉक्यूमेंटेशन, निर्माण कार्य, छात्र/छात्राओं के लिए कपड़े लत्ते के लिए बाजार में मोल भाव करने और गांव के पंच प्रधानों को भजराम हवलदारी वाली सलाम ठोकने और ब्लॉक से लेकर राज्य स्तर के अधिकारियों के स्कूल में धमकने पर उन्हें फेस करने तक सीखा जा सकता है।
सरकारी स्कूल के शिक्षकों के लिए भी प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों से सीखने के लिए बहुत कुछ होगा। स्कूल प्रबंधन के नखरे, नौकरी पर हमेशा खतरा, अभिभावकों की शिकायतें आदि-आदि को फेस करने के तरीके।