दून यनिवर्सिटी में सात दिवसीय स्तुति कार्यक्रम संपन्न

सहयोग और सहभागिता से संभव है विज्ञान का सामुदायिक उपयोग
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। भारत सरकार के ’सिनर्जिस्टिक ट्रेनिंग प्रोग्राम यूटिलाइज़िंग द साइंटिफिक एंड टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर’ (स्तुति) का दून विश्वविद्यालय में आयोजित सात दिवसीय कार्यक्रम संपन्न हो गया। इसमें रसायन विज्ञान, भौतिकी और पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन विभाग में “ एडवांस्ड इंस्ट्रुमेंटल टेक्निक्स ऑफ़ सिंथेसिस एंड फैसिकोकेमिकल एनालिसिस ऑफ़ ननोमाटेरिअलस “ पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में स्तुति की परियोजना प्रबंधन इकाई के सौजन्य से 27 जनवरी से शुरू हुए कार्यक्रमा का गुरूवार को समापन हो गया। कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल समापन समरोह प्रो. सुरेखा डंगवाल की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के निदेशक डॉ. रघुनाथ प्रताप सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे।
इस कार्यक्रम में पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं एसएआईएफ़ के निदेशक डॉ गंगा राम चौधरी भी उपस्थित थे। डॉ. रघुनाथ प्रताप सिंह ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा के ज्ञान का विविधीकरण से ही समाज के समस्याओं का समाधान निकल सकता है तथा इस प्रकार के कार्यकम इसमें विशेष रूप से उपयोगी साबित होंगे। डॉ सिंह ने कहा के नयी शिक्षा निति के अनुकरण के लिए भी इस प्रकार के कार्य शालाएं आयोजित की जानी चाहिए।
प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने अपने सम्बोधन में कहा के सहयोग एवं सहभागिता से ही आज विज्ञान की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है और सब समृद्ध संस्थानों को आगे आना चाहिये ताकि दूर दराज़ के शोधारतिओं को भी अपनी प्रतिभा दिखाने एवं तराशने का मौका मिले। उन्होंने आशा व्यक्त की के इस प्रकार के कार्यक्रमों से नयी पीढ़ी के भावी वैज्ञानिको का एक सकारात्मक एवं उथानातमक नेटवर्क भी बनेगा ।
एसएआईएफ के निदेशक डॉ गंगा राम चौधरी ने प्रतिभागिओं को अपने सेंटर के उपलब्धियों से अवगत करते हुए कहा के उनका संसथान विशेष रूप से उत्तराखंड के शोधार्थियों को अपने यहाँ उपलब्ध आधुनिक तकनीकों के उपयोग उपलब्ध करने के लिए प्रतिबध है तथा यह कार्यक्रम उसका एक भाग है। डॉ चौधरी ने प्रतिभागियों दवारा दिए के सकारात्मक प्रतिक्रिया को अपने लिए प्रेरणा स्त्रोत बताया।
दून विश्वविद्यालय के डॉ कुसुम अरूनाचलम ने ७ दिन के इस कार्यक्रम के रिपोर्ट पढ़ कर सबको इसके मुख्या उपलब्धियों से अवगत करवाया । कार्यक्रम का संचालन इस कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ हिमानी शर्मा ने किया। इस अवसर पर पंजाब विश्वविद्यालाय से डॉ राजीव कुमार , डॉ योगेश नागपाल, दून विश्वविद्यालय से , प्रोफेसर एच सी पुरोहित, डॉ विजय श्रीधर, डॉ अरुण कुमार, डॉ विपिन सैनी, डॉ अर्चना शर्मा, डॉ कोमल , डॉ ऐ आर गैरोला , डॉ स्मिता त्रिपाठी , डॉ अनुज, डॉ नरेंद्र रावल,डॉ. चारु द्विवेदी सहित शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।