इस बार देख परख कर वोट करेंगे देवप्रयाग के मतदाता

देवप्रयाग। समय-समय पर राजनीतिक दलों को आइना दिखाते रहे देवप्रयाग विधानसभा के मतदाता इस बार चेहरों को देख परख कर ही वोट करेंगे।
यूपी का दौर रहा या उत्तराखंड राज्य गठन के बाद का। कोई भी राजनीतिक दल ये दावा नहीं कर सकता कि देवप्रयाग उसका गढ़ है। देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने वोट करते वक्त बड़ी सूझबूझ दिखाई।
यही वजह है कि 2002 में कांग्रेस, 2007 में यूकेडी, 2012 में निर्दलीय और 2017 भाजपा चुनाव जीती। कुछ माह बाद होने वाले पांचवीं विधानसभा चुनाव के लिए देवप्रयाग विधानसभा के मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है। क्या मुददे हैं। चेहरों को लेकर क्या है कहना। इन सब बातों को लेकर हिन्दी न्यूज पोर्टल ने विभिन्न क्षेत्रों के मतदाताओं को टटोला।
इस दौरान बातचीत में लोगों देवप्रयाग के लिए स्वीकृत एनसीसी अकादमी का मुददा खूब रखा। इसको लेकर खूब आंदोलन हुए। आंदोलन में कौन था और किसने आंदोलन को लेकर भ्रम फैलाया लोग खुलकर बोल रहे हैं। कालातीत हो चुके देवस्थानम एक्ट के विरोध में चले आंदोलन को लेकर भी इसी प्रकार प्रतिक्रिया लोगों में सुनी गई।
कुंभ क्षेत्र में शामिल देवप्रयाग की 2021 के कुंभ में हुई उपेक्षा पर भी लोग खुलकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। नेताओं की आम लोगों के लिए सुलभता का मामला भी बड़ा मुददा है। नाना प्रकार की बातें इस चुनाव में मुददे का रूप ले चुकी हैं।
लोग 2002, 07, 12 और 17 में हुए विकास की तुलना भी कर रहे हैं। किसने क्या-क्या काम किए। लोगों को सब पता है। बातचीत में ऐसा बता भी रहे हैं। कुल मिलाकर बेहद जागरूक मतदाता इस बार हर चेहरे को ढंग से स्कैन करेंगे। नारों या किसी के नाम पर शायद ही इस बार वोट पड़े।