राजनीतिक दलों का कैडर बगैर सोचे समझे करता है वोट ?
ऋषिकेश। क्या राजनीतिक दलों का कैडर बगैर सोचे-समझे वोट करता है ? किसी को भी चुनाव जीता देता है। क्या किसी नेता की क्षमता, क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता के स्पष्ट प्रमाण के बाद भी सिर्फ इसलिए वोट किया जाना चाहिए वो फलां दल का प्रत्याशी है।
उत्तराखंड की राजनीति में राजनीतिक दलों के कैडर वोट की वजह से ऐसे लोग चुनाव जीत रहे हैं जिनका संबंधित क्षेत्र के विकास से कोई लेना देना नहीं है। परिणाम संबंधित विधानसभा क्षेत्र विकास की संभावनाओं के बावजूद पिछड़ गए हैं।
हैरान करने वाल बात ये है कि कार्यकर्ता मानते हैं कि फलां नेता ने काम नहीं किया। विकास से कोई लेना देना नहीं है। दावा भी करते हैं कि उससे कोई उम्मीद भी नहीं है। बावजूद ऐसे नेता चुनाव जीत रहे हैं। इसकी वजह है कैडर वोट और राजनीतिक दलों का भ्रम जाल।
ऐसे में सवाल खड़े होते हैं कि क्या किसी राजनीतिक दल का कैडर आंख मूंदकर वोट करता है। कैडर प्रत्याशी की क्षमता और क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता का आंकलन नहीं करता। यदि ऐसा है तो कहीं न कहीं राजनीतिक दलों का कैडर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बच रहा है।
राजनीतिक दलों का किसी व्यक्ति को प्रत्याशी बनाना मजबूरी हो सकता है। या राजनीतिक दल में काम न करना ही सबसे बड़ी योग्यता मानी जाती हो। मगर, एक वोटर के रूप में किसी भी कैडर का उसे स्वीकारना मजबूरी नहीं हो सकता है। किसी भी राजनीतिक दल के कैडर की सामाजिक जिम्मेदारी है। जो राजनीतिक प्रतिबद्धता से उपर ही होगी।