विधानसभा चुनावः कोई भी दल और नेता दावा करने की स्थिति में नहीं
पौड़ी। उत्तराखंड राज्य में पांचवीं विधानसभा के चुनाव के परिणामों को लेकर कोई भी दल, नेता और राजनीतिक पंडित कुछ भी दावा करने की स्थिति में नहीं हैं। दिग्गज नेता अपनी सीटों पर फंसे हुए हैं। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्राउंड रिपोर्ट से भी मतदान के गणित को सुलझाने में मदद नहीं मिल रही है।
राज्य गठन के बाद पहली बार मतदान से कोई अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है। हालांकि दावे-प्रतिदावों का दौर लगातार जारी है और 10 मार्च तक चलता रहेगा। दरअसल, एक-एक सीट फंसी हुई है। सिटिंग सीएम, प्रोजेक्टेड सीएम और दिग्गज अपने-अपने विधानसभा सीटों में बुरी तरह से फंसे हुए दिख रहे हैं।
अधिकांश कैबिनेट मंत्रियों का भी यही हाल है। दो-दो, तीन-तीन बार के विधायकों के भी पसीने छूटे हुए हैं। हालांकि मोटे तौर पर 70 में से आधी सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। मगर, ये अंदाजा नहीं लग पा रहा है कि पलड़ा कहां भारी है।
दरअसल, जनता की चुप्पी और फ्लोटिंग वोट के मूवमेंट की वजह से ऐसी स्थिति बनी हुई है। क्लासिक भीतरघात की वजह से अंदाजा लगाना और मुश्किल हो रहा है। भाजपा में क्लासिकल भीतरघाट अधिक हुआ है। यही वजह है कि सीधा मुकाबला भी फिलहाल कन्फयूजन क्रेट कर रहा है। इसके अलावा करीब दो दर्जन सीट पर क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस और भाजपा का गणित बिगाड़ते दिख रहे हैं।
करीब आधा दर्जन सीटों पर ऐसे प्रत्याशी मजबूत स्थिति में बताए जा रहा है। यानि पांचवीं विधानसभा में आधा दर्जन से अधिक सीटें छोटे दल और निर्दलीयों के पास चली जाएं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। बहरहाल, कांग्रेस और भाजपा के रणनीतिकार मतगणना के बाद उत्पन होने वाली स्थिति का आंकलन करने में जुटे हुए हैं।
एक-एक सीट पर हुए मतदान का डिटेल जुटाया जा रहा है। ताकि सहयोग लेने-देने की व्यवस्था, रणनीति पहले से ही तय कर ली जाए।