उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में बनेंगे दो-दो संस्कृत ग्राम
आंगनबाड़ी की तर्ज पर चलेंगी कक्षाएं, शिक्षकों की होगी नियुक्ति
तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में जल्द ही दो-दो संस्कृत ग्राम बनाए जाएंगे। उक्त ग्रांम आंगनबाड़ी की तर्ज पर संस्कृत की पढ़ाई होगी। इसके लिए शिक्षकों की नियुक्तियों भी की जाएंगी।
उक्त ऐलान राज्य के स्कूली/उच्च, और संस्कृत शिक्षा के मंत्री डा. धन सिंह रावत ने किया। डा. रावत दून विश्वविद्यालय के सभागार में पूरे राज्य के शासकीय अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रबंधकों एवं पूरे राज्य के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक मे बोल रहे थे।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि वह प्रत्येक 100 दिन में एक समीक्षा बैठक करेंगे और पहली बैठक में जो बिंदु तय किए गए उनकी समीक्षा करेंगे अधिकारियों एवं कर्मचारियों को एक साथ बिठाकर समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करेंगे ,उन्होंने कहा कि संस्कृत विद्यालयों में बहुत सारी समस्याएं खड़ी है, परंतु धीरे-धीरे उन सब का समाधान ढूंढ लिया जाएगा और जो शिक्षकों कर्मचारियों के हित में एवं राज्य की वित्तीय स्थिति के अनुरूप होगा उसका पालन किया जाएगा।
बैठक में उपस्थित सचिव आईएएस चंद्रेश यादव ने कहा कि शासन द्वारा समय-समय पर जारी आदेशों के तहत जो भी कार्य नियम संगत होंगे उन्हें तत्काल पूरा किया जाएगा जो थोड़ा भी नियम से हटकर पूर्व में किए गए होंगे उनकी समीक्षा करने के बाद रास्ता निकाला जाएगा।
संस्कृत शिक्षा निदेशक एसपी खाली ने कहा कि निदेशालय प्रत्येक शिक्षक एवं कर्मचारी के हितों के प्रति प्रतिबद्ध है परंतु नियमों के अधीन रहकर ही प्रत्येक कार्य किया जाएगा।
समीक्षा बैठक का संचालन करते हुए सहायक निदेशक डा. चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने कहा कि पहली बार किसी शिक्षा मंत्री और सचिव ने इस प्रकार की पहल की है, कि शासन प्रशासन एवं शिक्षकों और कर्मचारियों को आमने-सामने बिठाकर समस्याओं का समाधान ढूंढने का प्रयास किया गया है और इस प्रकार के प्रयासों से ही उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले प्रदेश मे शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सकता है जिसका प्रयास शिक्षा मंत्री एवं सचिव द्वारा किया जा रहा है।
इस राज्य स्तरीय बैठक में अशासकीय सहायता प्राप्त शिक्षक संगठन के अध्यक्ष आचार्य राम भूषण बिजलवान, प्रबंधकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष डॉ जनार्दन कैरवान, सहित अनेक प्राचार्य एवं प्रबंधकों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।