क्या गवर्नमेंट डिग्री/पीजी कॉलेजों से बेहतर होते हैं विश्वविद्यालय के परिसर ?

तीर्थ चेतना न्यूज
देहरादून। क्या गवर्नमेंट डिग्री/पीजी कॉलेजों से विश्वविद्यालय के परिसर बेहतर होते हैं ? उत्तराखंड में गवर्नमेंट डिग्री/पीजी कॉलेजों को विश्वविद्यालयों को सौंपने की मची होड़ के बाद ये सवाल उठ रहे हैं।
इन दिनों सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय एक साथ तीन गवर्नमेंट डिग्री/पीजी कॉलेजों को परिसर बनाने के काम में जुटा हुआ है। इसमें पिथौरागढ़, चंपावत और बागेश्वर के गवर्नमेंट डिग्री/पीजी कॉलेज शामिल हैं। इसके लिए प्रक्रिया भी आगे बढ़ी है। साक्षात्कार के माध्यम से कुछ प्राध्यापकों का चयन भी किया गया है। बावजूद इसके अभी कई तकनीकी सवाल बने हुए हैं।
उक्त सवालों की अनदेखी कर आगे बढ़ना आगे मुश्किलें खड़ी कर सकता है। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के ऋषिकेश परिसर की व्यवस्था से इसे अच्छे से समझा जा सकता है। आधा दर्जन से अधिक प्राध्यापक विश्वविद्यालय को बॉय-बॉय कर गवर्नमेंट कॉलेज में लौट चुके हैं। कुछ तैयारी कर रहे हैं।
गोपेश्वर परिसर अभी तक अस्तित्व में नहीं आया। दरअसल, चंद्रबदनी परिसर की घोषणा भी हुई है। हरिद्वार जिले में भी परिसर बनाने की बाते यदा कदा आती रहती हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या विश्वविद्यालय के परिसर गवर्नमेंट डिग्री/पीजी कॉलेजांे से बेहतर होते हैं।
विश्वविद्यालय की स्वयतता के आइने से देखें तो ये बात परिसर के पक्ष में जाती है। मगर, उत्तराखंड में विश्वविद्यालयों की स्वायतता की क्या स्थिति है बताने की जरूरत नहीं है। विश्वविद्यालयों की स्वयतता किस रूप में सामने आ रही हैं हर कोई जान रहा है।
नियुक्तियों के मामलों में स्वायतता के नाम पर क्या-क्या सुनने को मिलता है। अपयश झेलने के लिए विश्वविद्यालय का कुलपति अकेला रहता है। गवर्नमेंट डिग्री/पीजी कॉलेजों में यदि माहौल ठीक है तो ध्यान सिर्फ पढ़ाने पर ही होता है। परिसर में भी ऐसा ही होना चाहिए। होता भी होगा। मगर, स्वायतता भी तो हैं।
बहरहाल, सरकार के संरक्षण के गवर्नमेंट डिग्री/पीजी कॉलेजों को विश्वविद्यालयों को सौंपा जा रहा है तो यकीन करना होगा कि ये अच्छा ही होता होगा। हां, इसके परिणाम देखने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।