कर्मपथ : राजा का वैभव तो सबको नजर आता है, लेकिन एक अच्छे राजा की मेहनत और उसका त्याग कोई नहीं जानता

देहरादून। राजा का वैभव तो सबको नजर आता है, लेकिन एक अच्छे राजा की मेहनत और उसका त्याग कोई नहीं जानता। ऐसे ही जनसेवा का मार्ग भी बहुत कठिन है। जनता के विश्वास को बनाए रखना और कर्मपथ पर आगे बढ़ना कठिन चुनौती होता है। राज्य के मुखिया यानी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दिनचर्या को देखकर यह आभास हो जाता है कि जनसेवा की डगर बहुत कठिन है।
16 अक्टूबर 2021। दिन शनिवार। सुबह के 5.30 बजे हैं। सीएम धामी दिनचर्या से निवृत्त होकर बाहर निकलते हैं। योगासन के बाद पूजार्चन और नाश्ता होता है। आठ बजे वह कैंप ऑफिस में विकास कार्यों की समीक्षा बैठक लेते हैं। सुबह 9 बजे लोगों से मिलने का समय है। लोग आते हैं और अपनी समस्याएं बताते हैं। सीएम सबकी समस्याएं सुनते हैं और उनके निदान के लिए आवश्यक कार्रवाई करते हैं। लगभग दस बजे सीएम स्वयंसहायता समूह के एक कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हैं। इसके बाद वह हंस डायलेसिस सेंटर का लोकार्पण करते हैं। यहीं से मुख्यमंत्री पूर्व निर्धारित यात्रा पर हेलीकॉप्टर से अयोध्या के लिए प्रस्थान करते हैं।
अयोध्या में भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह देख अभिभूत मुख्यमंत्री विभिन्न बैठकों में प्रतिभाग करने के बाद राम लला के दर्शन करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में समय तेजी से भागता रहा। अब रात के 10 बज रहे हैं। अयोध्या और आसपास के जिलों से कार्यकर्ता मिलने अतिथि गृह पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री उत्साह से सबसे मिल रहे हैं। रात्रि में निर्धारित कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के पश्चात पुनः अतिथि गृह पहुंचते हैं।
रात लगभग एक बजे मुख्यमंत्री रात्रि विश्राम के लिए अपने कमरे की और बढ़ते हैं। दूसरे दिन यानी 17 अक्टूबर सुबह अयोध्या में भोर का समय, मुख्यमंत्री की लगातार बैठकों और कार्यक्रमों का दौर जारी है। बैठकों के बाद मुख्यमंत्री देहरादून के लिए प्रस्थान करते हैं , दिन में 1 बजे जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचकर एयरपोर्ट में ही कश्मीर में शहीद हुए उत्तराखंड के 2 शहीदों को भावांजलि अर्पित करते हैं। इसके ठीक बाद एयरपोर्ट से ही सचिवालय के लिए प्रस्थान कर जाते हैं। बिना कोई ब्रेक लिए!
इसके बाद सचिवालय में वे कोविड 19 टीके की प्रथम डोज में उत्तराखंड द्वारा शत प्रतिशत टीकाकरण लक्ष्य प्राप्त करने पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में प्रतिभाग करने के पश्चात मुख्यमंत्री लोक संस्कृति संबंधी एक संगीत विद्यालय के उद्घाटन में चले जाते हैं और वहां अपने भाषण में लोक कलाकारों का हौंसला बढ़ाते हैं।
इन सब में सायं के 4.30 बज गए हैं, मुख्यमंत्री सचिवालय में पहुंचकर डिजास्टर मैनेजमेंट की मीटिंग में बैठ गए हैं,जहां वे आने वाले दिनों में जो अतिवृष्टि की संभावनाएं मौसम विभाग ने व्यक्त की हैं उसको लेकर तैयारियों का जायजा लेते हैं,ये मैराथन मीटिंग करीब 2 घंटे चलती है,इसके बाद मुख्यमंत्री अपॉइंटमेंट के तहत आए लोगों से मिलते हैं।
रात्रि के 9.15 बज गए हैं। मुख्यमंत्री झटपट जलपान कर करते हैं और फिर से मुख्यमंत्री आवास पर ही डिजास्टर मैनेजमेंट से संबंधित बैठक कर स्तिथियों की जानकारी लेते हैं। इस सबके बीच घड़ी की सुई अर्ध रात्रि की ओर इशारा कर रही है। मुख्यमंत्री चहरे पर मुस्कुराहट लिए धीरे से अधिकारियों से विदा लेते है। घड़ी की सुई 1 बजाने लगती है और मुख्यमंत्री जी रात्रि विश्राम के लिए बढ़ते हैं क्योंकि अगले दिन फिर उन्होंने मोर्चा लेना है। ये ही है मुख्यमंत्री का कर्मपथ और विकल्प रहित संकल्प।