शिक्षकों को प्रमोशन के लिए तरसाने के लिए कोर्ट बहाना तो नहीं ?

शिक्षकों को प्रमोशन के लिए तरसाने के लिए कोर्ट बहाना तो नहीं ?
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तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। राज्य में स्कूली शिक्षकों को प्रमोशन के लिए तरसाने के लिए क्या कोर्ट का बहाना तो नहीं बनाया जा रहा है ? शिक्षकों के बीच ये तथ्य लगातार मजबूती पा रहा है।

सरकार का दूसरा नाम निदान होता है। सरकार कारसाज होती है और राह बनाना उसकी जिम्मेदारी है। बावजूद इसके स्कूली शिक्षकों के लिए सेवाकाल में एक प्रमोशन पाना सपना बना गया है। साफ है कि स्कूली शिक्षकों के प्रमोशन के मामले में विभाग और सरकार यदि रूचि ले तो कोर्ट गए मामलों के बावजूद प्रमोशन की राह खुल सकती है।

तमाम ऐसे मामले हैं जब सरकार ने राह निकाली है। प्रमोशन को कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन रखकर भी कार्मिकों को प्रमोशन दिए गए हैं। मगर, शिक्षकों के मे विभाग/सरकार ने ऐसा प्रयास नहीं किया। इसको लेकर शिक्षक सवाल भी उठाते रहे हैं।

सवाल ये भी है कि स्वयं के तैनात किए गए शिक्षकों की वरिष्ठता का दो टूक निर्धारण न कर पाना विभाग/सरकार पर बड़ा सवाल है। यही वजह है कि अब शिक्षकों के मन में ये बात मजबूती से घर कर गई है कि उन्हें प्रमोशन के लिए तरसाने को कोर्ट का बहाना बनाया जा रह है।

इस बीच, कुछ दिनों से प्रमोशन की राहत को लेकर कुछ चिटठी पत्री तेजी से चल रही हैं। परंपरागत पत्रों के आधार पर दिख रहे ये सक्रियता ठीक वैसे ही प्रतीत हो रही है जैसे चुनावों के वक्त के जीओ। बहरहाल, शिक्षकों को उम्मीद है कि निदेशालय पर जून का धरना और नए साल के धरने के बाद कोई राह जरूर निकलेगी।

Tirth Chetna

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