शिक्षक उलझे तबादलों में और शिक्षणेत्तर कर्मियों की तरक्की पर तरक्की
देहरादून। राज्य के माध्यमिक स्कूलों के शिक्षक तबादलों में उलझ गए हैं/ उलझा दिए गए हैं या उलझाए जा रहे हैं। जबकि शिक्षणेत्तर कर्मियों को तरक्की पर तरक्की मिल रही है।
तबादला एक्ट की मौजूदगी के बावजूद राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग को दूसरे राज्यों की तबादला नीति पर गौर करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि इसका ड्राफ्ट भी तैयार हो गया है। इस पर चर्चा के लिए शिक्षक संगठनों को भी आमंत्रित किया गया है।
सोशल मीडिया में शिक्षकों में खुशी है कि उनके तबादले को एक और एक्सरसाइज हो रही है। उन्हें भी इसमें शामिल किया जा रहा है। दरअसल, राज्य गठन के बाद तबादलों को लेकर हुई तमाम एक्सरसाइज में शिक्षक उलझते रहे हैं। ये ऐसी उलझन होती है कि पता नहीं चल पाता कि कोई उलझा हुआ है।
शिक्षक तबादलों में इस कदर उलझे हुए हैं कि वो अपनी तरक्की के मसले को ही भूल गए हैं। जबकि शिक्षा विभाग में ही शिक्षणेत्तर कर्मियों की तरक्की पर तरक्की हो रही है। एलटी/प्रवक्ता के समय सेवा शुरू करने वाला लिपिक उसी स्कूल में प्रशासनिक अधिकारी हो गया और मास्साब जहां के तहां हैं।
20-25 सालों की सेवा में शिक्षक को एक प्रमोशन भी नहीं मिल पा रहा है। एलटी के अधिकांश शिक्षकों का तो उसी पद पर रिटायर होने की स्थितियां बन रही हैं। अब तो एलटी शिक्षकों को विषयगत लाभ के भी लाले पड़ गए हैं। यही स्थिति प्रवक्ता पद पर होती दिख रही है। मगर, शिक्षक तबादले में उलझे हुए हैं। जबकि सीधी सी बात है तो प्रमोशन होगा तो स्थान परिवर्तन अपने आप हो जाएगा।