कांटों का ताज है श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति की कुर्सी
![कांटों का ताज है श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति की कुर्सी](https://tirthchetna.com/wp-content/uploads/2023/04/nk-joshi.jpg)
12 सालों में नहीं हुआ आशातीत विकास
तीर्थ चेतना न्यूज
ऋषिकेश। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति का पद कांटा का ताज है। विश्वविद्यालय का अब तक का सफर इस बात का प्रमाण है।
अक्तबूर 2012 में अस्तित्व में आए श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का 12 सालों में आशातीत विकास नहीं हुआ। अभी तक तीन पूर्णकालिक कुलपति इस विश्वविद्यालय की कमान संभाल चुके हैं और चौथे कुलपति के रूप मंे प्रो. एनके जोशी ने कुछ घंटे पूर्व कार्यभार संभाल लिया है।
12 सालों में विश्वविद्यालय में ऐसा कुछ नहीं हुआ जो ये दिखाता हो कि विश्वविद्यालय आगे बढ़ने की दिशा तय कर चुका है। हां, इन 12 सालों में विश्वविद्यालय के स्तर पर स्थापित तमाम व्यवस्थाओं पर सवाल जरूर खड़े हुए। कई योग्य लोगों का विश्वविद्यालय से मोहभंग हुआ।
अब कुमाऊ विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो. एनके जोशी को श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया है। जोशी ने राजभवन से नियुक्ति पत्र जारी होने के दिन है ज्वाइन भी कर दिया।
50 का कुमाऊ विश्वविद्यालय पूरी तरह से स्थापित है। यहां प्रो. एनके जोशी के सम्मुख और बेहतरी करने की चुनौती रही होगी। जबकि श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय अभी सिर्फ नाम भर है। बेहतरी की बात दूर अभी यहां आधारित बातों का तय करना है।
यही वजह है कि उच्च शिक्षा के जानकारी श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति पद की कुर्सी कांटा का ताज बताते हैं। कांटों के इस ताज को पहनने के लिए करीब सौ प्राध्यापक तैयार थे। ताज प्रो. एनके जोशी के सिर सजा है। इन कांटों की चूभन से बचने के लिए काम करेगा अगला की स्ट्रेटजी अपनाई जाती रही हैं। ये स्ट्रेटजी दुबारा कुलपति बनने के काम तो आ सकती हैं। मगर, विश्वविद्यालय का विकास अवरूद्ध हो जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ भी।
काम करेगा अगला की स्ट्रेटजी का ही परिणाम है विश्वविद्यालय में स्वायतता जैसा कुछ भी दूर-दूर तक न तो दिखता है और न महसूस होता है। परिणाम शासन में बैठे बड़े बाबू विश्वविद्यालय पर पूरी तरह से हावी हैं। विश्वविद्यालय के एक मात्र ऋषिकेश परिसर में प्राध्यापकों की वरिष्ठता का मामला लंबित है। स्पष्ट गाइड लाइन के बावजूद विश्वविद्यालय इस पर दो टूक निर्णय नहीं दे सका है। परीक्षा सिस्टम से लेकर परिसर की अन्य व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
अब देखने वाली बात होगी कि नए कुलपति प्रो. एनके जोशी विश्वविद्यालय को आगे ले जाने के लिए क्या स्ट्रेटजी अपनाते हैं।