विश्व जल दिवस पर परमार्थ निकेतन में कार्यशाला

विश्व जल दिवस पर परमार्थ निकेतन में कार्यशाला
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गुड प्रैक्टिसेज फॉर वाटर पुस्तक का विमोचन

तीर्थ चेतना न्यूज

ऋषिकेश। विश्व जल दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस और यूएनओपीएस द्वारा विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में आये वैश्विक वक्ताओं, जल वैज्ञानिकों, जल राजदूतों ने विद्यालयों के बच्चों व शिक्षकों को जल के महत्व, संरक्षण और प्रदूषण मुक्त करने हेतु जागरूक किया।

‘‘विश्व जल दिवस’’ मीठे जल, पीने योग्य जल के महत्व को रेखांकित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है। साथ ही जल के स्थायी प्रबंधन और निष्पक्ष वितरण हेतु जागरूकता प्रदान करता है। इस वर्ष की थीम ’’वाटर फार पीस’’ वैश्विक स्थिरता और अंतर्संबंधों पर जोर देती है। जल संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए आपसी सहयोग और संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण जल की कमी के साथ प्रदूषण को बढ़ाता है, इसलिए यह आवश्यक है कि सभी देश वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहयोग करें।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हिमालय की धरती ने हमें जल के मंत्र दिये; जीने के मंत्र दिये। अथर्ववेद 12.1 में भूमि सूक्त जो पूरा सूक्त माता भूमि को समर्पित है अर्थात हमारी संस्कृति, प्रकृति को समर्पित है।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि विश्व जल दिवस की थीम वाटर फॉर पीस है और मेरे लिये नो वाटर नो पीस; नो वाटर नो काफी, नो कान्फ्रेन्स। आप इस धरती पर जो भी देख रहे हैं वह वाटर की वजह से ही है। जल प्रदूषण का कारण भी हम है और समाधान भी हम है। इस समस्या के समाधान की पहली चाबी है जीवनशैली में परिवर्तन, दूसरा हम क्या सोचते है क्योंकि जैसा हम सोचते है वैसा ही करते है। अगर हम सब मिलकर कार्य करे तो सारे समाधान हमारे पास ही है।

कहा कि माँ गंगा और धरती माता को हमारी जरूरत नहीं है परन्तु हमारे जीवन की कल्पना उनके बिना नहीं की जा सकती। इस अवसर पर स्वामी जी ने फोर टी प्रोग्राम – टाइम, टैलेंट, टेक्नोलॉजी और टेनासिटी तथा फोर आई प्रोग्राम – इन्फरमेशन, इंस्पिरेशन, इनोवेशन और इम्पिमेंटेशन के विषय में जानकारी प्रदान की और सभी को पौधारोपण और जल स्रोतों के संरक्षण के लिये जागरूक किया।

उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष, माननीया ऋतु खंडूरी जी ने कहा कि हम अक्सर सुनते हैं कि अगला युद्ध वाटर के लिये होगा इसलिये वाटॅर फार पीस की जरूरत है। अगर हमने जल्दी ही कोइ कदम नहीं उठाया तो हम अपने जल स्रोतों व नदियों को खो देंगे। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड़ में कई स्थानों पर महिलायें 24 घन्टे में से कई घन्टे जल को लाने के लिये लगाती है परन्तु धन्यवाद है हमारे प्रधानमंत्री को जिन्होंने जल जीवन मिशन के माध्यम से प्रत्येक घर में स्वच्छ पेय जल पहुंचाने हेतु कदम बढ़ाया।

उन्होंने बताया कि हमारे जीवन के लिये जल अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने गंगा जी के संरक्षण के साथ गांवों के छोटे-छोटे स्रोतों को बचाने हेतु प्रेरित किया। साथा ही कहा कि हमारे देश में जो जल बर्बाद हो रहा है उस पर ध्यान देने की जरूरत है।

रॉयल डेनिश दूतावास में राजदूत माननीय फ्रेडी स्वेन ने कहा कि हम परमार्थ निकेतन में माँ गंगा के तट पर हैं। गंगा न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व के लिये एक पवित्र नदी है। इस पवित्र नदी को हम प्रदूषित कर रहे हैं, वह इसलिये नहीं कि हम मूर्ख है बल्कि इसलिये कि हम केयरलेस है। उन्होंने कहा कि अगर हम कहीं पर भी प्लास्टिक फेंकते हैं तो एक दिन वह पवित्र नदी गंगा में आ जायेगा क्योंकि और कोई रास्ता ही नहीं है।

हम सभी इलेक्ट्रानिक गेजेट्स के आदि हो गये हैं जब भी नया फोन खरिदते हैं तो हम धरती पर एक कचरे का ढ़ेर खड़ा कर देते हैं। जब तक आप जवाबदारी लेना नहीं सीखते तब तक आपको आन्तरिक शान्ति प्राप्त नहीं हो सकती। अगर हमने सतत विकास करना शुरू नहीं किया तो इस पवित्र नदी गंगा को हम एक दिन देख नहीं पायेंगे इसलिये यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी नदियों व जल स्रोतों का संरक्षण करें।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि विगत वर्ष जब जी-20 हुआ उस समय माननीय प्रधानमंत्री जी श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे शास्त्रों से एक स्लोगन दिया ’’वसुधैव कुटुम्बकम्’’ अर्थात हम इस वसुधा (धरती) का एक परिवार है। हम अभी की स्थिति देखे तो प्रतिवर्ष भारत में जल प्रदूषण के कारण 2 लाख लोगों की मौत होती है। यदि कोई महामारी आती है तो हम सब कुछ करने के लिये तैयार रहते है जैसे हमने कोविड में देखा हम सुरक्षित रहने के लिये घरों के अन्दर बंद हो गये थे ऐसा ही समर्पण हमें अपने प्रदूषित हो रहे जल स्रोतों के लिये दिखाना होगा।

भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के पूर्व महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि आज हम सभी विश्व जल दिवस मना रहे हैं और इस वर्ष की थीम वाटर फॉर पीस है। हम देख रहे हैं कि दुनिया भर से खबरे आ रही है कि जल के लिये कहां कहां पर संघर्ष व हिंसा हो रही है। जल एक प्राकृतिक स्रोत है और प्रकृति ने जल के वितरण के लिये कभी भी भेदभाव नहीं किया।

इंडो-नॉर्डिक वॉटर फोरम के संयोजक श्री अंशुल जैन जी ने कहा कि हम गंगा के पावन तट पर उस समस्या के विषय में चिंतन कर रहे हैं जिससे पूरी मानवता प्रभावित हो रही हैं वह है जल। जल ही जीवन है परन्तु वर्तमान समय में राष्ट्रों, समुदायों और लोगों के बीच संघर्ष का कारण भी बनते जा रहा है। उन्होंने कहा कि जल एक दैविय अमृत के समान है, हम उसे प्रदूषित होते नहीं देख सकते। जल के लिये संघर्ष व युद्ध करने के बजाय हम सभी एक साथ आकर उसका संरक्षण और समान वितरण हेतु योगदान प्रदान करंे क्योंकि जल की सभी को जरूरत है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान की डीन डा रूचि बड़ोला ने नदियों व जल के संरक्षण के लिये आर्दभमि के महत्व के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि हम सभी यहां पर पीस, मोटिवेशन और गंगा जी के संरक्षण हेतु संकल्प के लिये एकत्र हुये हैं। उन्होंने कहा कि नदियों के तटों पर ही सभ्यताओं का विकास हुआ है। जल संरक्षण के लिये वैश्विक स्तर पर बहुत कुछ किया जा रहा है परन्तु अब जमीनी स्तर पर प्रत्येक नागरिक द्वारा कार्य करने की बारी है। हम सभी का लक्ष्य होना चाहिये कि हम नदियों के अभिभावक हैं; उनके संरक्षक हैं।

हरिओम स्माइल्स की संस्थापक श्रीमती मोनिका सिंघल जी ने कहा कि हमें धरती ने बहुत कुछ दिया है आज उसे कुछ वापस करने की हमारी बारी है। हमारे ऋषियों ने जल को देवता की संज्ञा दी है। हम जल देवता को प्रणाम करते है इसलिये उसे गंदा नहीं करना चाहिये। उन्होंने कहा कि जल प्रतिक्षण हमारे व्यवहार को सुनता है; देखता है इसलिये अपने चिंतन को स्वच्छ रखे तो जल अपने आप स्वच्छ हो जायेगा।

विनोद मिश्रा जी ने ’शान्ति के लिये जल’ की भूमिका पर प्रकाश डालते हुये कहा कि इस समय विश्व के विभिन्न देशों में पानी की कमी हो रही हैं। देशों व राज्यों के मध्य नदियों के जल के लिये, जल के बटवांरे के लिये लडाई व संघर्ष चल रहा है इसलिये यूनाइटेड नेशन ने इस वर्ष विश्व जल दिवस के अवसर पर वाटर फॉर पीस का नारा दिया है।

कार्यशाला का जीवा की परियोजना निदेशक गंगा नन्दिनी जी ने खूबसूरती से संचालन किया। स्वामी जी ने सभी को आशीर्वाद स्वरूप रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया। इस अवसर पर ’’गुड प्रैक्टिसेज फॉर वाटर’’पुस्तक का विमोचन किया।

Tirth Chetna

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