पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा बना प्लास्टिक

पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा बना प्लास्टिक
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विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष

प्रो. गोविंद सिंह रजवार।

सहुलियत, उपलब्धता और आकर्षण से भरपूर प्लास्टिक अब जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है।  इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस बीट प्लास्टिक पाल्यूशन के आहवान के साथ मनाया जाएगा। पारिस्थितिकी तंत्र को प्लास्टिक से हो रहे खतरे के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया है। आम जन की भागीदारी से इस दिशा में आगे बढ़ा जाना चाहिए।

बीट प्लास्टिक पाल्यूशन यानि प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना। इस वर्ष की इस थीम के तहत प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित/समाप्त करने के हल खोजे जाएंगे। विश्व के सभी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए प्लास्टिक प्रदूषण अस्तित्व के खतरे तक पहुंच गए हैं।

विश्व में प्रति वर्ष 40 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है। इसमें 50 प्रतिशत सिंगल यूज प्लास्टिक की श्रेणी में आता है। करीब दो करोड़ टन प्लास्टिक झीलों, नदियों एवं समुद्रों में पहुंचता है। वर्तमान में प्लास्टिक या तो जमीन के गडढों में समा जाता है या फिर नदियों और समुद्र में पहुंच जाता है। या जलकर जहरीले धुंये के रूप में परिवर्तित होता है, जो कि पृथ्वी के लिए गंभीर खतरा है।

सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद पर्यावरण, समाज, आर्थिकी एवं स्वास्थ्य हेतु अत्यधिक हानिकारक है। पूरें विश्व में हर मिनट में 10 लाख प्लास्टिक बोतलेें क्रय की जाती हैं। जबकि 50 अरब प्लास्टिक थैलियां प्रति वर्ष विश्व में उपयोग मंे लायी जाती हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि कुल प्लास्टिक उत्पाद की आधी मात्रा एकल उपयोग के लिए निर्मित की जाती है एवं एक बार उपयोग के बाद फेंक दी जाती हैं।

प्लास्टिक एक प्रकार का कृत्रिम कार्बनिक पॉलिमर पदार्थ है, जिसका उपयोग पैकेट निर्माण, भवन निर्माण कार्य, घरेलू एवं खेलकूद संबधी सामान एवं उपकरण, गाड़ियों, इलेक्ट्रॉनिक, कृषि एवं अन्य क्षेत्रों में किया जाता है। यदि प्लास्टिक उत्पादों का सही प्रकार से निवारण नहीं किया गया तो पर्यावरण एवं जैव विविधिता को हानि होना निश्चित है।

प्लास्टिक युग को कुछ वैज्ञानिकों द्वारा प्लास्टोस्फियर शब्द का उपयोग किया जाने लगा है। सन 1950 से 1970 तक प्लास्टिक का उपयोग कम होता था, जिनके अवशेषों का नियंत्रण एवं निवारण संभव होता था। सन 2000 के बाद प्लास्टिक अवशेषों की मात्रा इतनी अधिक हो गई जो कि इससे पहले के 40 वर्षों से कही अधिक थी।

यदि वर्तमान मंे 40 करोड़ टन का अवशेष इसी प्रकार बनता रहेगा तो सन 2050 तक विश्व का प्लास्टिक उत्पादन 110 करोड़ टन प्रति वर्ष हो जाएगा। विगत कुछ वर्षों में एकल उपयोग प्लास्टिक उत्पादन में विश्व स्तर पर हुए प्रयासोें से कमी हुई है।

लगभग 98 प्रतिशत एकल उपयोग प्लास्टिक का निर्माण जीवाश्म ईधन से होता है। एक अनुमान के अनुसार जीवाश्म ईधन आधारित प्लास्टिक का उपयोग एवं निवारण समस्या के कारण सन 2040 तक विश्व कार्बन बजट में 19 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी, क्योंकि इस प्रक्रिया में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी इससे जुड़ा हुआ है।

जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों में प्लास्टिक पदार्थों के पहुंचने मात्रा जो कि सन 2016 में 90 लाख से 1.4 करोड़ टन से बढ़कर 2040 में 2.3 से 3.7 करोड़ टन प्रति वर्ष हो जाएगा। विज्ञान एवं मानव व्यवहार में प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रण हेतु समाधान उपलब्ध हैं इस विषय पर शोध कार्य जारी है। व्यवस्था की दृढ़ इच्छा शक्ति से इसका समाधान संभव है। जिसमें सरकारें, कंपनियों एवं समस्त हितधारकों की सहभागिता महत्वपूर्ण है।

इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस कोटे-डि-ईवॉयर में नीदरलैंड की साझेदारी के साथ मानाया जाएगा। कोटे-डि-ईवॉयर में सन 2014 से प्लास्टिक थैलियों के उपयोग पर प्रतिबंध है। कोटे-डि-ईवॉयर के पर्यावरण एवं सतत विकास मंत्री जीन लुक असी ने कहा प्लास्टिक प्रदूषण प्रत्येक समुदाय के लिए एक स्पष्ट खतरा है।

नीदरलैंड के पर्यावरण मंत्री विवियन हीजनन ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण एवं स्वास्थ्य, आर्थिकी एवं पर्यावरण पर इसके खतरों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है, जिसकेे लिए त्वरित कार्य की आवश्यकता है। इस वर्ष के पर्यावरण दिवस को भारत में मनाए जाने हेतु भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इसे मिशन लाइफ विषय के तहत मनाने का निर्णय लिया है। यानि पर्यावरण हेतु जीवन शैली। भारत में इसका उददेश्य है पर्यावरण को बचाने हेतु लोगों को सतत जीवन के तरीकों को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करना।

मिशन लाइफ अवधारणा को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ग्लासगो में सन 2021 में प्रस्तावित किया गया था। भारत सरकार के विभिन्न विभागों एवं केंद्रों जैसे नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के क्षेत्रीय केंद्र, भारतीय जंतु विज्ञान सर्वेक्षण, नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल मैनेजमेंट आदि द्वारा मिशन लाइफ के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तावित हैं।
इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के दिन चंद्रग्रहण भी होगा। अथर्ववेद में चंद्रग्रहण के दिन पेड़ पौधों एवं इनके रोपण का महत्व बताया गया है, जिससे चंद्र ग्रहण के दोषों का निवारण हो सकें।

विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधा रोपण करने से न केवल हम पृथ्वी मां की सेवा करेंगे बल्कि ग्रहों के दुष्प्रभावों से भी अपनी रक्षा कर सकते हैं। इस दिवस को मनाने हेतु पौधा रोपण के अतिरिक्त ईको फ्रेंडली उत्पादों के उपयोग की दिशा में अग्रसर होने, पैकिंग सामग्री में प्लास्टिक के स्थान पर जैव अपघटन सामग्री उपयोग करने, पार्क या नदी में सफाई अभियान करने, पदार्थों को रिसाइकल करने एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु अन्य उपयोग करने से हम संपूर्ण समुदाय को सार्थक एवं सततजीवी बनाने में सफल हो सकेंगे।
लेखक फैलो, लीनियन सोसाइटी ऑफ लंदन हैं।

Tirth Chetna

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