क्या करना ऐसे विधायकों का

देहरादून। जनता के वोट से चुने जाने वाले विधायकों को जनता से ज्यादा पार्टी का हो जाना लोगों को पिछले पांच साल से खूब अखरा। यही वजह है कि इस बार ऐसे नेता को विधायक बनाने पर जोर दे रहे हैं जो जनता का होकर रहे।
2017 में उत्तराखंड के लोगों ने भाजपा के 57 नेताओं को विधायक बनाया। इसमें दो मुख्यमंत्री बनें। एक नेता का 2017 में विधायकी का टिकट कटा वो भी मुख्यमंत्री बना। यानि भाजपा के तीन नेता मुख्यमंत्री बनें।
इन पांच सालों में राज्य के कई क्षेत्रों विधायकों के स्तर से खूब उपेक्षा हुई। संबंधित क्षेत्रों की जनता कई मुददों को लेकर सड़कों पर रही। मगर, विधायक साथ नहीं आए। देवस्थानम एक्ट के विरोध में चारों धामों के तीर्थ पुरोहित डेढ़ साल आंदोलन करते रहे। मगर, संबंधित क्षेत्रों के विधायक आश्वासन देने तक नहीं आए।
दरअसल, विधायक पार्टी के होकर रह गए। चुनावी साल में पार्टी ने परफारमेंस देखी तो बात सामने आ गई कि विधायक जनता के तो बन ही नहीं सकें परिणाम दर्जन भर विधायकों के टिकट कटे।
विधायक के रवैए को नजदीक से देख चुकी जनता इस बार जनका के पक्ष में खड़े हो सकने वाले नेता को ही विधायक देखना चाहते हैं। पार्टी अनुशासन की दुहाई देने वालों के खिलाफ तो जनता में खासी नाराजगी है। इसका असर चुनाव में जरूर दिखेगा।