2025 तक ड्रग फ्री स्टेट बन सकेगा उत्तराखंड
अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस 26 जून
सुदीप पंचभैया ।
देवभूमि उत्तराखंड 2025 तक ड्रग फ्री स्टेट बन सकेगा। राज्य के मैदानी क्षेत्रों से लेकर डांडी कांठयूं तक में पांव पसार चुके नशे के समूल को एक साल के भीतर नष्ट किया जा सकेगा। विभिन्न वजहों से नशे की जद में आए युवाओं को रास्ते पर लाया जा सकेगा।
आज अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस है। संयुक्त राष्ट्र संघ की छत्रछाया में 1987 से ये ये दिवस मानाया जा रहा है। बावजूद इसके विश्व स्तर पर नशे का उपयोग से लेकर कारोबार में कमी नहीं आ रही है। नशे के एक से बढ़कर एक प्रकार सामने आ रही हैं।
बहरहाल, इस दिवस को मनाने का उद्देश्य नशीली दवाओं के उपयोग के विनाशकारी परिणामों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। नशे से कई तरह से प्रभावित देशों ने इस दिशा में प्रयास भी किए। कुछ सफलताएं भी मिली। मगर, विभिन्न रूपों में नशे का समूल नष्ट नहीं किया जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस की इस वर्ष की थीम साक्ष्य स्पष्ट है रोकथाम में निवेश करें। इस थीम पर विश्व के तमाम देश काम भी कर रहे होंगे। समाज को जागरूक करने के लिए विभिन्न एजेंसियों काम कर रही होंगे।
पिछले डेढ़ दशक पर गौर करें तो देवभूमि उत्तराखंड में नशे के कारोबार का जाल बिछ चुका है। शराब के नशे पर चोट करने वाला जागरूक समाज के सामने अन्य प्रकार के नशीले रसायन चुनौती बन गए हैं। इसने राज्य की तरूणाई को जद में ले लिया है। राज्य के मैदानी क्षेत्रों के साथ ही अब पर्वतीय क्षेत्र भी नशे की गिरफत में है। नशे का ये जाल शराब से इत्तर है और खतरनाक है।
इसकी जद में आ रहे युवा से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। कई परिवार इससे बरबाद हो रहे हैं। युवाओं में नशे की लत लगाने वाले स्कूल/ कॉलेजों के इर्द गिर्द ताक में बैठे रहते हैं। ये लोग पुलिस के हत्थे भी नहीं चढ़ते। इन पर अंकुश लगाए बिना नशे के जाल का तोड़ना मुश्किल है। नशा मुक्ति केंद्र के परिणाम भी बहुत उत्साह वाले नहीं हैं। ये भी एक तरह से अब व्यवसाय बन चुका है।
ऐसे हालातों में राज्य सरकार ने 2025 तक उत्तराखंड को ड्रग फ्री स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है। राज्य सरकार का ये लक्ष्य उन घरों के लिए उम्मीद की किरण है जिनके बच्चे नशे की चपेट में आ चुके हैं। सरकार ने इस दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
सरकार के प्रयास अच्छे हैं। मगर, नशे के कारोबार पर सरकारी सिस्टम अंकुश नहीं लगा पा रहा है। नशे के बड़े सौदागर उत्तराखंड के सिस्टम की पहंुच से परे हैं। ऋषिकेश, देहरादून, हल्द्वानी आदि शहरों में नशे की बड़ी-बड़ी खेपें पहुंच जा रही हैं। नशे की होल डिलीवरी आम हो गई हैं।
नशे का कारोबार इतना सिस्टमैटिक है कि पुलिस भी कभी कभार ही इक्का दुक्का लोगों को ही पकड़ पाती है। दरअसल, ये बात सामने आ रही है कि नशे का कारोबार बहुत छोटे स्तर से हो रहा है। डिलीवरी ऐसे लोग कर रहे हैं जिन पर शक होना मुश्किल होता है।