बार-बार डोलती उत्तरकाशी की धरती

प्रो. मधु थपलियाल।
वर्ष 1991-92 के बाद एक निश्चित अंतराल पर उत्तरकाशी भूकंप के झटकों का गवाह बन रहा है। बार-बार डोलती उत्तरकाशी की धरती क्या संकेत दे रही है। इस पर गौर करने की जरूरत है। ताकि नुकसान को कम किया जा सकें।
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी समेत आसपास के क्षेत्रों में तीन दिन पूर्व फिर भूकंप के झटके फिर से महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर तीव्रता 2.7 मैग्नीट्यूड मापी गई। यह देखा गया है कि उत्तरकाशी में वर्ष 1992-1993 से लगातार छोटे भूकंप आते रहे हैं। सन 1992-1993 के बड़े भूकंप ने उत्तरकाशी में भारी तबाही मचाई थी। वर्तमान में भी, भूकंप की दृष्टि से जनपद सबसे संवेदनशील जोन 4 और 5 में आता है।
यदि 1992-1995 की अवधि को देखें, तो उत्तरकाशी में कैरिंग कैपेसिटी से अधिक जनसंख्या हो चुकी है, जिससे जनसंख्या अधिभार बढ़ गया है। उत्तरकाशी में एक ओर मनेरी बड़ा डैम स्थित है, तो दूसरी ओर जोशियाड़ा में भी एक बड़ी झील बन गई है। इसके अतिरिक्त, बड़े पैमाने पर खुदाई वाले निर्माण कार्य, जैसे जोशियाड़ा टनल, भी यहां हो रहे हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, उत्तरकाशी प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील हो गया है।
ऐसी स्थिति में सरकार और प्रशासन को पहले से ही आपदा प्रबंधन की ठोस नीति तैयार करनी चाहिए। जितने भी पुराने और जर्जर भवन हैं, उन्हें चिन्हित कर वहां रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। डिजास्टर मैनेजमेंट यूनिट को सतर्क कर देना चाहिए ताकि किसी भी संभावित आपदा से जान-माल की हानि को रोका जा सके।
प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अक्सर यह देखा जाता है कि पूर्व तैयारी की कमी के कारण बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान होता है। उत्तरकाशी में बीते छह दिनों के भीतर छह भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, जो सामान्य घटना नहीं है। इसका स्पष्ट संकेत है कि पृथ्वी के भीतर किसी न किसी प्रकार की भूगर्भीय हलचल जारी है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, सभी सुरक्षा व्यवस्थाएं पहले से ही चाक-चौबंद कर दी जानी चाहिए।
उत्तरकाशी, उत्तराखंड एक भूकंप-संवेदनशील क्षेत्र है, जो हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण लगातार भूकंपीय गतिविधियों का सामना करता है। भूकंप का यहां बड़ा इतिहास रहा है। अक्टूबर 1991 का भूकंप की तीव्रतारू 6.8 रिक्टर स्केल और केंद्र उत्तरकाशी था। यह भूकंप उत्तरकाशी जिले में अब तक के सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक था। इसमें लगभग 768 लोगों की मौत हुई, 5,000 से अधिक लोग घायल हुए और 300,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए।
1999 का चमोली में आए भूकंप की तीव्रतारू 6.6 रिक्टर स्केल था। इसका केंद्र चमोली में था, लेकिन उत्तरकाशी में भी इस भूकंप के झटके महसूस किए गए और कुछ हानि हुई। उत्तरकाशी और इसके आसपास के क्षेत्र में समय-समय पर हल्के से मध्यम तीव्रता के भूकंप आते रहे हैं। यह क्षेत्र भूकंप ज़ोन प्ट और ट में आता है, जो इसे भूकंप के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील बनाता है।
उत्तरकाशी में भूकंपों के लगातार खतरे को देखते हुए, यहाँ भूकंप-रोधी निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है और आपदा प्रबंधन को मजबूत किया जा रहा है। भूकंप से बचाव और तैयारी के प्रमुख तरीके व्यक्तिगत और पारिवारिक तैयारी परिवार के सभी सदस्यों को भूकंप के दौरान क्या करना है, इसकी ट्रेनिंग दें।
एक आपातकालीन किट तैयार करें, जिसमें टॉर्च, बैटरियां, प्राथमिक चिकित्सा किट, पानी, सूखा भोजन, महत्वपूर्ण दस्तावेज, और रेडियो शामिल हों। भूकंप के समय “ड्रॉप, कवर और होल्ड” (बैठें, सिर ढकें और सहारा लें) की प्रैक्टिस करें। घर के सभी सदस्यों के लिए एक आपातकालीन संपर्क योजना बनाएं।
घर या इमारत की भूकंप-रोधी जाँच कराएं और आवश्यक सुधार करवाएं। भारी फर्नीचर, अलमारी और वॉटर हीटर को दीवार से कसकर बांधें। कांच की खिड़कियों पर सुरक्षा फिल्म लगवाएं ताकि वे न टूटें। गैस सिलेंडर और बिजली के तारों की नियमित जाँच करें और किसी भी लीकेज को तुरंत ठीक करें।
सरकारी कार्यालय और खासकर स्कूल कॉलेज और बड़ी गेदरिंग वाले स्थानों में खास व्यवस्थाएं हों। समुदाय को इस बारे में जागरूक किया जाए। भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्यों के लिए स्वयंसेवकों का एक समूह तैयार करें। समुदाय में आपातकालीन केंद्र स्थापित करें, जहां लोग शरण ले सकें। भूकंप आने पर क्या-क्या करें और क्या न करें। इसको लेकर लोगों को व्यापक स्तर पर जागरूक किया जाए।