सैन्य धाम प्रकरण पर पीएमओ और सीबीआई के संज्ञान का कांग्रेस ने किया स्वागत

सैन्य धाम प्रकरण पर पीएमओ और सीबीआई के संज्ञान का कांग्रेस ने किया स्वागत
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तीर्थ चेतना न्यूज

देहरादून। देहरादून में बन रहे सैन्य धाम प्रकरण में पीएमओ और सीबीआई द्वारा संज्ञान लिए जाने का कांग्रेस ने स्वागत किया। कहा कि आरटीआई से मिले दस्तावेज इस मामले में बड़े घालमेल की ओर इशारा कर रहे हैं।

उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने देहरादून में बना रहे सैया धाम के निर्माण कार्यों में हो रहे भ्रष्टाचार का संज्ञान प्रधानमंत्री कार्यालय और सीबीआई द्वारा लिए जाने का स्वागत किया है। कहा कि आरटीआई में प्राप्त दस्तावेजों से कुछ ऐसे खुलासे हुए हैं जो सैन्य धाम के निर्माण कार्यों पर संशय और संदेह उत्पन्न करते हैं।

कहा कि उत्तराखंड के रणबाकुरों का देश की सुरक्षा में दिए गए योगदान और बलिदान को सदैव जीवित रखने के लिए, उन योद्धाओं को भावपूर्ण स्मरण करने के लिए सैन्य धाम बनाने को देहरादून को चिन्हित किया गया, परंतु इस योजना को विभागीय अधिकारियों ने बट्टा लगाने का काम किया है।

कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार से इस योजना के तहत मिलने वाले धन को सांठ गांठ और बंदर बाट कर दी गई है। राज्य सरकार की आंखों में धूल झोंकी जा रही है,ऐसा आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज बता रहे हैं।

दसौनी ने कहा कि सर्वप्रथम तो सैन्य धाम के लिए ग्लोबल टेंडरिंग होनी चाहिए थी, परंतु विभाग ने ई टेंडरिंग के माध्यम से निविदाएं आमंत्रित कर दीं।डीपीआर के अनुसार 48 करोड़ का प्रोजेक्ट बताया गया ई- टेंडरिंग के माध्यम से मात्र दो कंपनियों ने निविदाएं भरी जिसमें से एक को टेंडर दे दिया गया। परियोजना का आकलन 48 करोड़ था लेकिन आवंटन 49 करोड़ का किया गया।दसौनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सैन्य धाम के निर्माण कार्य में भारी अनियमितताएं हुई हैं।

इस कारण यह प्रोजेक्ट की लागत लगभग दोगुणा हो गयी है ,तो वहीं सैन्य धाम तय समय पर पूरा भी नहीं हो पा रहा है।दसौनी ने कहा कि सैन्य धाम में टेंडर से लेकर निर्माण कार्यों में करोड़ों का गोलमाल हुआ है। उन्होंने कहा कि यह मामला देश के लिए शहीद सैनिकों से जुड़ा है। ऐसे में सैन्य धाम की पवित्रता बनी रहनी चाहिए।

कहा कि प्रोजेक्ट 8 नवम्बर 2023 तक पूरा होना था पर अब इस समय सीमा को बढ़ाकर अक्टूबर 2024 कर दिया गया है। गरिमा ने कहा कि संज्ञान में आया है कि उत्तराखंड पेयजल संसाधन एवं विकास निर्माण निगम ने इसका ग्लोबल टेंडर ही जारी नहीं किया। पोर्टल पर जारी यह टेंडर 48 करोड़ का था। इसमें दो कंपनियों मैसर्स शिवकुमार अग्रवाल और मैसर्स एमएचपीएल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने भाग लिया। इस टेंडर को विभाग ने निरस्त कर दिया और दोबारा से निविदा आमंत्रित की गयी। तत्कालीन वित्त निदेशक ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया और पूछा कि यह तकनीकी बिड खोली ही क्यों गई।

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार निगम ने इतनी बड़ी धनराशि का टेंडर बिना प्रशासनिक अनुमति के जारी किया था। टेंडर के लिए जिन दो कंपनियों ने निविदाएं दीं, उसके स्टाम्प और नोटरी एक ही वेंडर से लिए गये। दोबारा अल्पकालीन टेंडर जारी किया गया और इसके लिए दोबारा से उन्हीं दो कंपनियों ने आवेदन दिया। इस बार यह ठेका मैसर्स शिव कुमार अग्रवाल को दे दिया गया। टेंडर की धनराशि अब 49 करोड कर दी गयी। विभाग ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए कंटीजेंसी का लगभग एक करोड़ 9 लाख रुपये भी छोड़ दिये। टेंडर ओवरप्राइस था और इसे ग्लोबल नहीं किया गया।

आरटीआई से खुलासा हुआ है कि सैन्य धाम में जो सामग्री उपयोग उपयोग की जा रही है, उसकी क्वालिटी और दाम को लेकर भी घोटाला हुआ है। ठेकेदार को निविदा शर्तों के विपरीत समय-समय पर अग्रिम भुगतान किया गया है। अब तक 35 करोड़ 94 लाख का भुगतान किया जा चुका है। यही नहीं ठेकेदार को बिना निविदा के ही लगभग सात करोड़ 75 लाख रुपये के अतिरिक्त कार्य भी आवंटित कर दिये गये।

दसौनी ने कहा कि यह शहीदों का मामला है और उत्तराखंड सैनिक प्रधान प्रदेश है ,यहां के हर परिवार में कोई ना कोई व्यक्ति सैन्य पृष्ठभूमि का है इसलिए सैन्य धाम के में हो रहे इस भ्रष्टाचार से प्रदेश के सभी वर्तमान और पूर्व सैनिक आहत हैं। दसौनी ने कहा कि अब तो सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय और सीबीआई से अपेक्षा और आशाएं जुड़ी है कि वह इस गंभीर प्रकरण की जांच कराए और सत्य जनता के सामने रखें।

Tirth Chetna

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