राष्ट्रीय खेल दिवस पर उत्तराखंड पारंपरिक घर्या खेल

राष्ट्रीय खेल दिवस पर उत्तराखंड पारंपरिक घर्या खेल
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*राष्ट्रीय खेल दिवस पर उत्तराखंड पारंपरिक घर्या खेल*।

उत्तराखण्ड राज्य पहाड़ी राज्य छा। यकक भौगौलिक अर क्षेत्रीय स्थिति मां बौत फरक छा। भौगौलिक अर क्षेत्रीय स्थिति हिसाब से यकक रैवास्यूं खेल भी प्रकृति अर उंक काम धंधा से जुड़या छन। आज मी गढवाल कुच्छ खेल बाबत लिखणू छौं। अगर आप लोगुन भी यी खेल अपण बाळपन मां खेली होला अर आप थै अपण बचपन की याद औणी अर खुद लगदीन, तुम अपणी भडूली तै रूकीन ना।

तुमने खेल खेली होला त तुम तै अपण दगड़यों क मुखड़ी याद करीक मुल-मुल हंसी लेन।

1. *बाघ बखरीः*- पहाड़ी लोगू काम धंधा रूप मां खेती बाड़ी, गोठ खेत गौड़ी बाछी, डिबरी बाखरी छन। बाघ बखरी तै ज्यादा मरदू अर यकक लोग बाखरी थै बाघ मनन बचाण ज्यादा कोशिश कर दन। यकक नौन-नौन्याल बाघ बखर बणीक खेेल स्वांग कर दीन। नौन-नौन्याली पंगत मां खड़ हुुदीन, अर पिछडी खडू़ नौन-नौन्याली अगड़ी कमर पकड़ी खडूं ह्वे जंदीन। नौन नौन्याली मनन एक बाघ बणदू। अगड़ी खडू नौन पिछडी खडू नौन नौन्याली जू बाखरी बणयां रंदीन उंकी जुगळी (रक्षा) करदू। बाघ बणयू नौन बाखरी बणया नौन थै भैर खिंचदू। सै सै मां सब्बी बाखर बणया नौन तै बाघ बणयू नौन भैर खींच लींद। अगडी खडू नौन तेज तर्रार हूदं। बारी बारी करीक सब्बी बाघ अर बाखरी बणदन।

बाघ बखरी खेल क दूसर ढंग शंतरज क तरां भी खिले जांदा। एक सपाट पत्थर मां ट्याड म्याड (आड़ी तिरछी) रेखा खिंची की उंमा अलग-अलग रंग पत्थरू बाघ बखरी बणये जांदा अर जन शंतरंज खिल्याद उन्ही बाघ से बाखरी तै बचै जांदा।

2. *गुल्ली डंडाः*- गुल्ली डंडा भी उत्तराखण्ड मा खूब खिले जांद। अजकली त क्रिकेट जमन मा सब्ब खेल भूली गेन। गुल्ली डंडा मा डंडा मजबूत लखड बणयै जांद छ्यायी अर गुल्ली तै द्वी तरफ नोक बणैक डंडा न मरे जांद। जू गुल्ली तै जतना दूर लेकन जाला वैक जीत हूंदी। माटू खोदी एक गुत्थी बणये जांदा अर वीं गुत्थी मा गुल्ली रखीक खिलण ह्वाल डंडा न दूर उछले जांद। दूसर पाळी नौन वीं गुल्ली पकड़न कुन खड रंदीन। गुल्ली तै गुत्थी मा रख्यूं डण्डा पण निशान लगाण कोशिक करदू अगर निशान डंडा मा लगी गे त खिलण ह्वाल खिलडी भैर ह्वे जांद अर अगर निशान नी लगदू तब खिलण ह्वाल खिलड़ी वी गुल्ली तै डंडा न मारी क दूर चुटाण कोशिश करदू।

3. *पत्थर फिकण/ लमडाण* (लुडकाना)- उत्तराखण्ड राज्य पहाड़ी राज्य हुणा कारण यकक नौन स्कूल आंदा जांदा, ग्वैर बणीक जंगलू मा जैक पत्थर फिकंदन अर पहाड़ मां उचैं बटीक पत्थर लमढै कर दीन। जैक फिक्यूं पत्थर या लमढयूं पत्थर जथगा दूर जाला वी जीत्यूं मनें जांद।

4. *गारी खिलण/ बट्टी खिलण*। यी खेल ज्यादा नौनी ( बालिका ) खिलदन, कब्बी गोरू बखर चराण बगत, कब्बी घर मा बैठी कन खिलदन। गारी खिलणा कुन कै जगह बट्टी खिलण से भी जणे जांद। यू खेल नौनी खिलदीन। ये तै खिलणा कुन पाॅच पत्थर गोळ-गोळ बराबर छुट्ट गारी/बट्टी लींदीन। एक गारी उठै क ऐन्छ उछाली भूंया (जमीन) रख्या गारी तै उछळी गारी न भूंया पडण से पैली उठाण पड़दू। यनी पंची गारी कुन करण पडद। ये खेल तै दगड़ मा अर अकेला भी खिले जांद।

5. *इच्ची दुच्चीः*- इच्ची दुच्ची भी नौनी ( बालिका) खिलदीन। भूयां मा तीन चार चकोर निशान बणये जंदीन अर चार या आठ खाना करे जंदीन। एक खाना मा खिलण ह्वाल नौनी अपण घुण्ड मनन एक खुट्ट मोड़ी वै थै उठै क अर दूसर खुट्ट न चकोर या गोल पथरी तै एक खाना से दूसर खाना मा सरकै करदीन। अगर चकोर खाना मा खिंची पंगत मा पथरी रूक जांदी या पंगत मा खुट्ट पड़ जांदा त नौनी खेल से भैर ह्वे जांद। ये खेल तै दगड़यो दगड़ी खिले जांद।

6. *पनपथरी/पिठ्ठू/*- गढवाल कुमौं यू खेल खूब खिले जांदा। 6-7 चपड़ी पथरी ढेर एक बडू पत्थर मा रखे जांदा नौनू द्वी पाळी बणये जांद। एक पाळी खिलदी छा अर एक खिलांदी छ। खिलण वाली पारी नौन झुल्ला (कपड़ा) गिंदू तै पत्थरू ढेर तै टुकद। ढेर पैथर दूसर पाळी खिलाण ह्वाल नौन खडू रौंदू अर गिंदू तै रूकण कोशिश कर दू। गिंदी ढेर तै उजाड़ी देंद त खिलण ह्वाल पाळी खिलड़ी अगड़ी भगदन अर पिछड़ी बटीक खिलाण ह्वाल पाळी खिलड़ी गिंदी न उंक पीठ पर मरदन। अगर गिंदू खिलण ह्वाल खिलड़्यूं पर लगी जांद त खिलड़ी अपण हार मानी जंदीन। गिंदी लगण से पैली अगर उॅं पत्थरू ढेर थै दुबर उनी रखी देंद खिलण ह्वाल खिलड़्यू जीत मने जांदा अर दुबरू खिलण न्यूत मिल जांद।

7. *झूला झूलणः*- उत्तराखण्ड मा गौ मा गौड़ी बाछी डिबरी बाखरी चराण कु जंगल मा नौन-नौन्याली जंदीन। गौडी बाखरी चराण दगड़ी नौन नौन्याली अपण खेल खिलदन। बड डाळ लट जू लटकी रंदीन उं पकड़ी झूला झूलदंन। रूड्यूं बगत उंच डाळ (पेड) लम्बी फौंटी (टहनी) मा रस्सी डाली झूला झूले जांद।

8. *लुकु खोज*- लुक्कु खोज नाम से ही पता चलणू छा कि लुकण अर खुजण। रूड़यू बगत जग सरी गौं मा रैवासी सियां रंदीन तब नौन नौन्याली कठ्ठी ह्वेक छानी, परयूल, घर कूड मा लुक्का खोज खिलदिन। कुछ नौन लुकी जंदीन अर उ खुजण ह्वाल नौन तै द्यै लगै लुक्कु बुलदीन। खुजण ह्वाल अगर कै तै खोजी देन्द तब उ खोज बुलद। जू पैली ढुढे जांद उ पैली हैंक बगत खुजण ह्वाल बणद।

9. *कंधा मां उठै लिजाणः*- नौन नौन्याल कठ्ठी ह्वेक द्वी टोली बणदन एक टोली हैंक टूली नौन तै कंधा पर उठै लिजांद जू सबसे कम दूर लेक जांद वैक हार मने जांद। ये खेल मा नौन-नौन्याली खयूं पियूं अर ताकत पता चलदू।

10. *ताश अर चौपड़*: गौं मा दान सयण लोग रूड़ी बगत मा डाली छैल या गौं तिवरी मा बैठीक चौपड़ खिले जांदा छ्यायी। अब जमन बदली च यू खेल भी बिसरी गेन। ताश मा सींप, तीन पत्ती गधा चाल, दैला पकड़, तीन दो पाॅच, झूठ सच, कोट पीश खेल बड़ो मनोरंजन रूप मां खिले जांद। घर गौं मा ताश जुआ रूप मा नी खिले जांद।

11. *बाड़ी खेल* : यी खेल भी घर गौं मा नौन नौन्याल खूब मजा लेकी खिलदन। संगड़ी पुगड़ी ज्वा खूब चैड़ी ह्वा वी मा खिले जांद। पुगड़ी मा लकीर लखड खिचे जंदीन,खिलण ह्वाल नौन तै तीनी खाना पार करीक उनी वापस आण पड़द। तारा जगह म खड़ नौन लैन से भैरी खड नौन जू एक भी ह्वे सकदन अर वे से ज्यादा भी थै भितर जाण मां रूकदू। अगर खिलण ह्वाल नौन पर हत्थ लग ग्यायी था पूरी टोली भैर हवें जादां। खिलणु ह्वाल नौन थै तीनी खाना तै पार करीक उनी वापस आण मा तीन खाना पार करण पड़दन। यू खेल बड़ू ही ह्वाल खेल छा।

यूंक दगड़ी नौन नौन्याल कंची, रस्सी कूद, डाल मां चढण, एक पुगणा बटीक दूसर पुगड मा फाल मरण, छौंपा दौड़, गिंदी क खेल, नद्यू मां खिलण, चखुल मरण, मुर्गा दौड़े क शिकार खिलण, अक्कड बक्कड, नौन्याली ब्यौली बरात खिलण माट भांड बणाण यनी भौत सी खेल खिलदन। नेगी जी क गीत की ढल याद आणी छाः-

*उकी खत्यूं होला म्यारू भी बचपन उकरी सकली त उकरी की लैई*।

अजों यी सब्ब खेल हरची गीन, आज नौन्याळ पुंगड़यू मा किक्रेट या फिर भीतर बैठी कन मोबाईल मा वीडियो गेम खिलण पर मिस्या छन। आज नै पढवळी यूं खेल तै नि खिलद, आज शारीरिक खेल पर ज्यादा ध्यान नी छ बलकण मोबाईल ,वीडियो गेम अर कबी कबी क्रिकेट अलावा होर खेल सब्ब भूली बिसरी गीन। जबकि यी जथगा भी खेल छ्यायी यू शरील तै मजबूत रखद छ्यायी। आज प्रांसगिकता मा दिखे जाव त गाॅव मा नौन्याळ भी नी छन, वख खेल कैन खिलण, अर शहरौं मा उ कुणी इन खेल खिलणा कुणी जगह नी छ। लेकिन बाळपन यी खेल मा ज्वा रस्याण छेयी वैक आंनद ही कुछ होर छ्यायी।

“©®@हरीश कण्डवाल मनखी कलम बिटी।

Amit Amoli

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